Wednesday, June 30, 2010

तुम प्राण मेरे

पुष्प नहीं दुर्लभ कोई ऐसा
करूँ जिससे श्रृंगार तेरा ।

जल कोई इतना पवित्र नहीं
करूँ जिससे अभिषेक तेरा ।

जगह बनाऊं तेरे ह्रदय में
हर लूं हर अवसाद तेरा ।

और किसी की चाह ना चाहो
तारों से भर दूं आँचल तेरा ।

प्रेम करूँ इतना तुमको
धड़कन में गुंजित नाम मेरा ।

बसा लूं अपने ह्रदय मध्य
बस जाओ जैसे प्राण मेरा ।

Saturday, June 26, 2010

तेरे अधरों पर खिली रहूँ

चाँद रख सकूं दामन में
मुझमें इतनी ताब कहाँ
मान दोस्त का रखूँ संभाल
बस इतनी सी आब यहाँ .

देखकर सागर जितनी प्रीत
मैं होती हूँ कुछ भयभीत
न ऐसा मेरा भाग्य सुदर्शन
कर दूं मैं खुद को अर्पण .

हंसी शाश्वत का सपना
ख़ुशी तुम्हारी देख हंसूं
मलिन रूप यह कभी न हो
तेरे अधरों पर खिली रहूँ .

बहुत ही प्यारे दोस्त हो तुम
तुम पर है मुझे गुमान
न करना मर्दन मेरा मान
कर सकूं मैं खुद पर अभिमान .

Friday, June 25, 2010

मैं

कविता का तेरे गीत मनोहर
गीत मैं बसा मीत हूँ मैं
तेरे सुर का साज सुसज्जित
साज का सप्तम राग हूँ मैं .

कलम तुम्हारी से बह निकले
ऐसा तरल भाव हूँ मैं
पढ़कर जिसे विह्वल हो जाओ
सुंदर सरल भाव हूँ मैं .

बिंदिया की चमक लुभावन
आँखों की तेरे दमक हूँ मैं
धानी चूनर की हया सी लिपटूं
बातों की तेरे ठसक हूँ मैं .

प्रीत का तेरे दीप प्रज्वलित
कंगन की खनखन हूँ मैं
मन का स्नेहिल भाव बनूँ
पायल की रुनझुन हूँ मैं .

निस्तब्ध रात की ख़ामोशी
भीगी पलकों का पानी मैं
दिल की धड़कन तेज बनूँ
घुंघराली लट की उलझन हूँ मैं .

तेजस लक्ष्य की चाह बनूँ
अंतस में बसी चाह हूँ मैं
अधरों की खिलती छवि बनूँ
स्वपनलोक की राह हूँ मैं .

Thursday, June 24, 2010

आप

आपके स्पर्श से
जल बन जाता है
अमृत
देता है जीवन बन
संजीवनी

आपके इशारे से
ज्वालामुखी हो जाता है
शांत
और उसकी धाह हो जाती है
शीतल

आपके मुस्कुराने से
खिल जाते हैं पुष्प
और आ जाती है
बहार

आपके आने की आहट
से कूकती है कोयल
और आ जाता है
वसंत

आपकी निश्छल हंसी से
जीवंत हो उठता है
रोम रोम
और पड़ जाते हैं उसमें
प्राण ।

Wednesday, June 23, 2010

आज कुछ खास

आज
कुछ खास लग रहा है
लगता है
कोई सपनों को पंख दे रहा है ।

आज
फूल खूबसूरत हो गए है
उनकी महक
बेहद रूमानी जो हो गयी है ।

आज
समय को लग गए है पर
लेकिन सांसें
मानो रूक ही गयी हैं ।

आज
साथ था तुम्हारा साथ मेरे
पाँव मेरे
जमीं पर थे ही नहीं ।

आज
एक छुअन से तूफ़ान उठा इधर
जी चाहता है
ना थमे तुम्हारे एहसास से भी ।

Monday, June 21, 2010

हीरा

बादलों का रंग
काला न होता
सोचो धरती
होती कितनी प्यासी ।

कोयल और पपीहे
की कूक से
मुग्ध होते हैं सब
रंग की किसे फ़िक्र ।

श्याम मिटटी में ही
जन्म लेता है
धवल कपास
और ताजगी देती चाय ।

कार्बन भी तो
होता है काला
परीक्षित रूप है
उसका हीरा !

प्यार की अबोली
इबारत समर्पित
है उस हीरा को
जो है सत्य, शिव और सुंदर ।

Tuesday, June 15, 2010

एक दूजे के लिए

बने एक दूजे के लिए
सुध बुध खोये खोये से
दो हंस फिरे मस्ती लिए
महके बयार चंदनवन से ।

आँखों ही आँखों में पढ़ते
ढाई आखर का ग्रन्थ
दिल से दिल को राह मिले
वे करते सब प्रबंध ।

मृगनयनी वो भरे कुलांचे
मेरे घर के आँगन में
वैरागी सा उसको निरख रहा
अपने मन के प्रांगन में ।

रिमझिम फुहार है उतावली
घटा प्रेम छाने को है
प्रीत की गागर लिए चला मैं
इन्द्रधनुष आने को है ।

दूधिया रात की रश्मियों
बसो हमारे देश
चमचम तारों से आंखमिचौनी
अभी बची है शेष ।

मैं तेरा मोर, तू मेरी मोरनी
आ चल दोनों नृत्य करें
राधे कृष्ण ने रचा न होगा
आ चल ऐसा रास रचें ।

Monday, June 14, 2010

नरगिस

बादल हैं

वो गेसू

जो प्यार की रिमझिम

बारिश कर

धरती में

स्फुटित करते हैं

एक अंकुर ।

प्यार की

वो घाटियाँ

जिनमें बहती है

निर्मल धारा

मेरे जीवन की

प्यास की प्यास

बुझाती है ।

समंदर है

वो आँखें

जिसकी तलहटी में

ऊर्जा का असीम स्रोत

भरा है

और मुझे कर रहा है

प्रेरित ।

समर्पित है

जीवन

उस नरगिस को ।