tag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post219439069884467540..comments2023-10-02T00:57:24.587-07:00Comments on पलकों के सपने: मेरी अर्चनामेरे भावhttp://www.blogger.com/profile/16447582860551511850noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-91992398756841833202011-01-17T06:47:02.294-08:002011-01-17T06:47:02.294-08:00तमन्ना कभी पूरी नही होती.....संजय भास्कर
नई पोस्ट ...तमन्ना कभी पूरी नही होती.....संजय भास्कर<br />नई पोस्ट पर आपका स्वागत है<br />धन्यवाद <br />http://sanjaybhaskar.blogspot.com/2011/01/blog-post_17.htmlसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-45481349196785937712011-01-16T21:05:19.882-08:002011-01-16T21:05:19.882-08:00आदरणीय रामपति जी
कवि शिरोमणि सूर्यकांत त्रिपाठी नि...आदरणीय रामपति जी<br />कवि शिरोमणि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी का एक काव्य संग्रह है 'अर्चना'... यह संग्रह तब आयी थी जब छायावाद युग अपने चरम पर था... आप शायद पढ़ी हो इसे.. नहीं पढ़ी हैं तो अवश्य पढ़िए.. आपकी इस कविता को पढ़ मुझे उस काव्य संग्रह में शामिल कई कवितायें याद आ गई... एक कविता कि कुछ पंक्तिया आपके इस सुन्दर कविता के प्रति पेश करता हूँ... <br /><br />"रमण मन के, मान के तन!<br />तुम्हीं जग के जीव-जीवन!<br /><br />तुम्हीं में है महामाया,<br />जुड़ी छुटकर विश्वकाया;<br />कल्पतरु की कनक-छाया<br />तुम्हारे आनन्द-कानन।" <br /><br />आपकी और इस कविता में समर्पण का भाव अपने पंचम पर है.. शुभकामना सहित..कुमार पलाशhttps://www.blogger.com/profile/04395975925949663661noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-79675806611199520202011-01-16T06:19:01.893-08:002011-01-16T06:19:01.893-08:00आधी नहीं आराधना
परिपूर्ण पूजा है मेरी
समर्पित है...आधी नहीं आराधना <br />परिपूर्ण पूजा है मेरी <br />समर्पित है साधना <br />अर्चना अद्वितीय मेरी <br />अच्छी अभिव्यक्ति.सराहनीय प्रस्तुति. सच अद्वितीय है आपकी ये अर्चना.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-82921026463943828212011-01-15T22:21:19.110-08:002011-01-15T22:21:19.110-08:00समर्पण का बेहतरीन नमूना है आपकी यह रचनासमर्पण का बेहतरीन नमूना है आपकी यह रचनाRajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-67251687432628117292011-01-15T04:16:36.220-08:002011-01-15T04:16:36.220-08:00pooja bhav se hoti hai...aur vo bhav har mantra ya...pooja bhav se hoti hai...aur vo bhav har mantra ya pooja vidhi ke adhure hone me bhi poornata ke sath moujood tha..bahut sunder....kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-8933613783517783552011-01-14T18:34:46.110-08:002011-01-14T18:34:46.110-08:00बहुत ही सुन्दर सहज शब्दों में भावमय प्रस्तुति ।...बहुत ही सुन्दर सहज शब्दों में भावमय प्रस्तुति ।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-81610765123713913782011-01-14T06:17:43.611-08:002011-01-14T06:17:43.611-08:00• इस कविता में आपकी वैचारिक त्वरा की मौलिकता नई दि...• इस कविता में आपकी वैचारिक त्वरा की मौलिकता नई दिशा में सोचने को विवश करती है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-32042435341704387852011-01-14T05:42:55.703-08:002011-01-14T05:42:55.703-08:00अर्ध से पूर्ण का यात्रा, पूर्ण का अर्ध आचमन।अर्ध से पूर्ण का यात्रा, पूर्ण का अर्ध आचमन।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-55335967003241349972011-01-14T05:41:00.728-08:002011-01-14T05:41:00.728-08:00तिलकराज कपूर जी से सहमत होते हुए, हरिवंश राय '...तिलकराज कपूर जी से सहमत होते हुए, हरिवंश राय 'बच्चन' जी की 'प्रणय पत्रिका' से कुछ कंश प्रस्तुत करता हूँ, जो आपकी कविता के उच्च कोटि के होने को सिद्ध करता है...<br />"नयन तुम्हारे-चरण कमल में अर्ध्य चढ़ा फिर-फिर भर आते।<br />कब प्रसन्न, अवसन्न हुए कब,<br />है कोई जिसने यह जाना?<br />नहीं तुम्हारी मुख मुद्रा ने<br />सीखा इसका भेद बताना,<br /><br />ज्ञात मुझे, पर, अब तक मेरी<br />पूर्ण नहीं पूजा हो पाई "अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-68012124722500706552011-01-14T05:20:11.758-08:002011-01-14T05:20:11.758-08:00भगवान से मैं मांग लू
अक्षत अभय तेरे लिए
अमरफल मै...भगवान से मैं मांग लू<br />अक्षत अभय तेरे लिए <br />अमरफल मैं चाह लूं <br />रखूँ छिपा तेरे लिए <br />pyaar kee archna ati sundarरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-60448193409481744602011-01-14T03:29:18.954-08:002011-01-14T03:29:18.954-08:00आभारआभारAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-86325681129576524392011-01-14T03:10:48.593-08:002011-01-14T03:10:48.593-08:00आधी नहीं आराधना
परिपूर्ण पूजा है मेरी
समर्पित है स...आधी नहीं आराधना<br />परिपूर्ण पूजा है मेरी<br />समर्पित है साधना<br />अर्चना अद्वितीय मेरी .<br />बहुत ही सुन्दर सहज शब्दों में भावमय प्रस्तुति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-40271245123741591612011-01-14T02:08:44.117-08:002011-01-14T02:08:44.117-08:00आपके शब्द चयन व शिल्प ने स्वर्गीय हरिवंश राय बच...आपके शब्द चयन व शिल्प ने स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन जी की 'रात आधी, खींच कर मेरी हथेली, एक अंगुली से लिखा था प्यार तुमने' की याद दिला दी।<br />खूबसूरत मनोभाव।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8446349388686024211.post-7844993121051793982011-01-14T02:04:33.556-08:002011-01-14T02:04:33.556-08:00आधी नहीं आराधना
परिपूर्ण पूजा है मेरी
समर्पित ह...आधी नहीं आराधना <br />परिपूर्ण पूजा है मेरी <br />समर्पित है साधना <br />अर्चना अद्वितीय मेरी . <br /><br />itna pyara sa samarpan...<br />bahut khub....bahut pyare shabd...मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.com