फूलों के रथ पर
होकर सवार
आया है कोई
राजकुमार ।
देखो मिलने चला
अपनी महबूबा को
चुप चुप देखे
अपनी दिलरूबा को ।
बिठला के डोली
पलकों की छावं
सजी है गोरी
है रुनझुन पावं ।
लेकर चला
अपने द्वार
सतरंगी सपने
करते हैं इन्तजार ।
क्या वो करे
कुछ समझ न आये
किससे कहे
जिया का वो हाल ।
देखे जो उसको
तो लब सी जाये
मन की उलझन
कर दे बेहाल ।
बातों ही बातों में
नैना भर आये
आँखों ही आँखों में
रैना बीती जाए ।
क्या यही है 'प्रीत '
कोई तो बताये
इस पागल दिल को
कोई तो समझाए ।
Friday, August 27, 2010
Wednesday, August 25, 2010
तुम्हें छूना
तुम्हें छूना
जैसे मंदिर में
आराधना है
मेरे आराध्य की ।
तुम्हें छूना
जैसे ईश्वर की मूर्ति को
छू कर
माँगना है
अपनों के लिए
बहुत कुछ ।
तुम्हें छूना
जैसे वर्षा की
बूंदों को
हथेलियों में लेकर
महसूस करना है
आसमान को ।
तुम्हें छूना
मिटटी में ए़क
बीज रोपना है
और धरा को
देना है नयापन ।
तुम्हें छूना
ए़क सुखद स्वप्न
सा है जैसे
नदी के वेग को
अपने भीतर
महसूस करना है ।
तुम्हें छूना
जीवन सा लगता है ।
Wednesday, August 11, 2010
उनकी याद में
अख़बार के सच को
जानता हूँ मैं
हवा के रुख को
पहचानता हूँ मैं ।
लहरों के थपेड़े से
टूट जायेगी नाव
डरकर रुकना नहीं
जानता हूँ मैं ।
सेंध लगा रहा हूँ
मैं सरे-बाजार
परदे में रहना
जानता हूँ मैं ।
उनकी आँखों का नशा
करता है बेकाबू
मन पर काबू करना
जानता हूँ मैं ।
हकीकत होती है
बहुत कड़वी मगर
जहर को पीना
जानता हूँ मैं ।
नहीं आएगी उनको
मेरी याद मगर
उनकी याद में
मरना जानता हूँ मैं ।
जानता हूँ मैं
हवा के रुख को
पहचानता हूँ मैं ।
लहरों के थपेड़े से
टूट जायेगी नाव
डरकर रुकना नहीं
जानता हूँ मैं ।
सेंध लगा रहा हूँ
मैं सरे-बाजार
परदे में रहना
जानता हूँ मैं ।
उनकी आँखों का नशा
करता है बेकाबू
मन पर काबू करना
जानता हूँ मैं ।
हकीकत होती है
बहुत कड़वी मगर
जहर को पीना
जानता हूँ मैं ।
नहीं आएगी उनको
मेरी याद मगर
उनकी याद में
मरना जानता हूँ मैं ।
Friday, August 6, 2010
ए़क चमकता हुआ तारा
तुमने दिखाया
ए़क चमकता हुआ तारा
आसमान में
असंख्य तारों के बीच
मुझे लगा
जैसे कह रही हो तुम
इस दुनिया की भीड़ से
चुना है तुमने
मुझे
ध्रुव तारे की तरह।
फिर
ए़क बात भी
चाहता हूँ कहना
कि
जब कभी
नहीं मिले
तुम्हे रास्ता
मेरी ओर देखना
मैं
जरुर खड़ा मिलूँगा
तुम्हे
देने को साथ
दिखाने को राह ।
ए़क चमकता हुआ तारा
आसमान में
असंख्य तारों के बीच
मुझे लगा
जैसे कह रही हो तुम
इस दुनिया की भीड़ से
चुना है तुमने
मुझे
ध्रुव तारे की तरह।
फिर
ए़क बात भी
चाहता हूँ कहना
कि
जब कभी
नहीं मिले
तुम्हे रास्ता
मेरी ओर देखना
मैं
जरुर खड़ा मिलूँगा
तुम्हे
देने को साथ
दिखाने को राह ।
Wednesday, August 4, 2010
अभी - अभी
ख़ुशी की उम्र
इतनी कम क्यों है
कोई बता दे
जिन्दगी ऐसी क्यों है ।
गम के बादल
छंटते नहीं क्योंकर
सुख का सूरज
डूबता है क्योंकर ।
अभी अभी मिले थे तुम
अभी अभी जाना क्यों है
रोक सकता नहीं क्यों मैं
इतना मजबूर क्यों हूँ मैं ।
आसूं ये रूकते थमते नहीं
खुलकर रो सकता भी नहीं
लबों पर हंसी आई भी नहीं
अभी अभी चली गयी क्यों है ।
शुरू हुआ है अभी सफ़र
न जाने कौन सी रह गुजर
क्या साथ होंगे हमसफ़र
मंजिल पर नजर नहीं क्यों है ।
इतनी कम क्यों है
कोई बता दे
जिन्दगी ऐसी क्यों है ।
गम के बादल
छंटते नहीं क्योंकर
सुख का सूरज
डूबता है क्योंकर ।
अभी अभी मिले थे तुम
अभी अभी जाना क्यों है
रोक सकता नहीं क्यों मैं
इतना मजबूर क्यों हूँ मैं ।
आसूं ये रूकते थमते नहीं
खुलकर रो सकता भी नहीं
लबों पर हंसी आई भी नहीं
अभी अभी चली गयी क्यों है ।
शुरू हुआ है अभी सफ़र
न जाने कौन सी रह गुजर
क्या साथ होंगे हमसफ़र
मंजिल पर नजर नहीं क्यों है ।
Monday, August 2, 2010
तुम्हारा संग
अभिनव आनंद तुम्हारा संग
निकटता तेरी बरगद छाँव
धूल धूसरित पगडण्डी पर
ढूंढ़ रहे हैं तेरे पाँव।
पराग सा महक रहा है
मोहक सिन्दूरी रंग
मुस्कान तेरी से रहे सुवासित
मन आँगन सतरंग ।
कहाँ चले गए तुम
मुझे छोड़ मझधार
नजरें ढूंढ रही हैं तुझको
हर खिड़की हर द्वार ।
हर दिन हर पल रखते
अपने नैनों की परिधि में
किसको ढूंढेंगे नयन बावरे
आसपास और स्मृति में ।
नाज उठाओगे किसके
पलकों पर किसे झुलाओगे
भेज दिया है दूर मुझे
कंठ से किसे लगाओगे ।
अधर पंखुरी खिलेगी कैसे
किसे देख रश्मि उतरेगी
पहाड़ सा दिन बीतेगा कैसे
कैसे लम्बी रात ढलेगी ।
तुम से दूर किया किस्मत ने
दिल से दूर न कर पाएगी
जाने को मना किया मन ने
पर याद बहुत फिर आएगी.
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