दो फूल
आस पास थे
लाल रंग उनका
खिल रहा था
एक भंवरा
आस पास था
रंग सुर्ख चटक
लुभा रहा था
एक तितली
उड़ कर आई
खिला हुआ सुमन
बुला रहा था
पुष्प के माथे
झिलमिल करता
ओस का मोती
सजा रहा था
खिली थी
और भी कलियाँ
पर यह फूल
मुस्कुरा रहा था
कहते थे
उसके पराग
कब आओगे
रास्ता देख रहा था
उसकी पुकार
तोड़ लेना मुझे
देना उनको
जो मन के करीब था .
इस बहुत सुन्दर दिलकश रचना के लिए बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
बहुत सुन्दर अन्दाज़-ए-बयाँ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शब्दो को चुन-चुन कर कविता की माला में पिरोया है आपने!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया....
ReplyDeleteवाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कोमल प्रेम भाव
ReplyDeleteपुष्प की कामना।
ReplyDeleteachha laga aapki rachna ko padhkar, yunhi likhte rahiye.
ReplyDeleteshubhkamnayen
khilte phool, chahakta man!!
ReplyDeleteफूलों सी ही सुन्दर कविता !
ReplyDeleteउसकी पुकार
ReplyDeleteतोड़ लेना मुझे
देना उनको
जो मन के करीब था
very nice
उसकी पुकार
ReplyDeleteतोड़ लेना मुझे
देना उनको
जो मन के करीब था .
बहुत सुन्दर भाव। बधाई।
bahut sunder bhav...
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