हवा
नही रुकेगी
बहेगी अनवरत
लेकिन नही होगी उसमें
खुश्बू तुम्हारी
तुम्हारे जाने के बाद...
धूप का
नहीं बदलेगा रंग
खुश्बू तुम्हारी
तुम्हारे जाने के बाद...
धूप का
नहीं बदलेगा रंग
न ही ताप
लेकिन गीली नही होगी
धूप
तुम्हारे जाने के बाद
लेकिन गीली नही होगी
धूप
तुम्हारे जाने के बाद
एक गौरैया
आएगी मेरी खिड़की पर
सुनाएगी गीत
पर उसमें नहीं होगी
मिठास
तुम्हारे जाने के बाद
आएगी बरखा
घूँघट उठा
बरसेगी छमछम
फुहारों से अपनी
भिगोएगी तन
पर नहीं भीगेगा
मन
तुम्हारे जाने के बाद
बांह पसारे
पसरेगा वसंत
झूमेंगें भँवरे
गायेंगी तितलियाँ
खिलेंगे सुमन
पर नहीं खिलेगी मेरी
आशाओं की कली
तुम्हारे जाने के बाद
थके क़दमों से
आएगा चंदा
बिखराएगा चंदनिया
पर नहीं भर पायेगा
उजास
मेरे आँगन
तुम्हारे जाने के बाद .
tumhare jane ke baad:)
ReplyDeletepar tum jaoge hi kyon....:D
behtareen abhivyakti!
कुछ नहीं जायेगा पर सब खाली हो जायेगा।
ReplyDeleteहमारी दुनिया बदल जाती है..बाकी सबके लिए सब कुछ यथावत रहता है....कितना बदल जाता है सब...तुम्हारे जाने के बाद
ReplyDelete-बेहद भावपूर्ण.
लड़की! बहुत भाव भरा लिखती हो.अब तो जम कर बैठ कर तुम्हे पूरा पढ़ना होगा.'तुम' लिख रही हूँ .नाराज न होना.जाने क्यों 'तुम' लिखने की इच्छा हो रही है तुम्हे.
ReplyDeleteये कविता सचमुच बहुत ही मर्मस्पर्शी है. देखना मेरी एक कविता ऐसी ही है दो साल पहले लिखी थी ,रिश्ते, भाव, धड़कता दिल जब एक सा होता है भाव भी एक से बहते हैं.
बहुत प्यारा लिखा है जितना कहूँ कम है.मुझे भीतर तक भिगो दिया है इसने. बहुत लम्बा सफर तय करना है अभी.अभी से ये सब न सोचो.
प्यार
थके क़दमों से
ReplyDeleteआएगा चंदा
बिखराएगा चंदनिया
पर नहीं भर पायेगा
उजास
मेरे आँगन
तुम्हारे जाने के बाद .
awesome
बहुत भावमयी प्रस्तुति
ReplyDeletebahut khoobsoorati se piroye bhav...
ReplyDeleteसच किसी के जाने के बाद सब कुछ बदल सा जाता है...अप्रतिम रचना..
ReplyDeleteनीरज
आएगी बरखा
ReplyDeleteघूँघट उठा
बरसेगी छमछम
फुहारों से अपनी
भिगोएगी तन
पर नहीं भीगेगा
मन
तुम्हारे जाने के बाद.
बहुत सुंदर भाव. बधाई.
आएगी बरखा
ReplyDeleteघूँघट उठा
बरसेगी छमछम
फुहारों से अपनी
भिगोएगी तन
पर नहीं भीगेगा
मन
तुम्हारे जाने के बाद
बांह पसारे
पसरेगा वसंत
झूमेंगें भँवरे
गायेंगी तितलियाँ
खिलेंगे सुमन
पर नहीं खिलेगी मेरी
आशाओं की कली
तुम्हारे जाने के बाद
थके क़दमों से
आएगा चंदा
बिखराएगा चंदनिया
पर नहीं भर पायेगा
उजास
मेरे आँगन
तुम्हारे जाने के बाद
"तुम्हारे जाने के बाद " aah! antarman ko bhedti ye pankti.....dukh ki peeda ko shabdon ke aansoo se tar karti aapki ye rachna.....
aahh bhi aur wahh bhi
badhai qabool karein