गुलाब
अलग अलग रंग और
गंध लिए
भिन्न भिन्न क्यारियों और
जलवायु से
चले आते हैं
फूलों की मण्डी में
जहाँ लगाई जाती है
इनकी बोली और कीमत
सुगंध और संवेदनाओं को परे रखकर
कितने चाव से उगाया था
माली ने इसे
संवाद की अथक
क्षमता लिए
आज पड़ा है भावशून्य
बीच बाजार
खरीदार आते हैं
करते हैं मोलभाव
दरक जाता है कुछ
भीतर गुलाब के
चाहते हैं लेना पर
कम करते हैं भाव
और मुरझा जाती है
एक पंखुड़ी
सोच में है फूल
होगा क्या
सजाऊंगा किसका घरोंदा
बनूगां किसके गेसुओं का हीरा
धड्कूंगा किसी हीर के हाथों में
या मनाऊंगा मातम
किसी के टूटे दिल पर
समाई है जिसमें
प्रीत की ऊष्मा
देखते ही खिल उठता है
हर हारा हुआ चेहरा भी
पर लगा दिया जाता है
ठंडी बर्फ में
ताकि जी सके ज्यादा
मारकर अपना मन .
देखते ही गुलाब
हर्षित होता है तन मन
पर सर्द में लगा देख
जम गया है उत्साह
हो आई है सहानुभूति
प्रेम स्नेह और शुभकामना
के प्रतीक
गुलाब से .
कोल्ड स्टोरेज के युग में गुलाब प्रेमियों के हाथ में पहुचने से पहले बर्फ में लगा दिया जाता है.. इस पहलु पर शायद पहली कविता हो यह.. बहुत बढ़िया..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
ReplyDeleteदेखते ही गुलाब
ReplyDeleteहर्षित होता है तन मन
पर सर्द में लगा देख
जम गया है उत्साह ..
ये यंत्रणा है आज के युग की ... सब कुछ कोल्ड स्टोर में च्ला जाता है ... भाव, मन और भी बहुत कुछ ...
alag alag tarah ke gulab...:)
ReplyDeleteshaniwar ko hi mughal garden me dekha tha.:D
par ek dum alag tarah ki rachna...gulab ko bimb bana kar aapne to kuchh aur hi dikha diya..
गुलाब का ठंडापन, कुछ अटपटा सा हो गया गुलाब।
ReplyDeleteसच में यह गुलाब ....
ReplyDeleteनमस्कार !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और लाजवाब रचना !
साधुवाद
जहाँ लगाई जाती है
ReplyDeleteइनकी बोली और कीमत
सुगंध और संवेदनाओं को परे रखकर
गुलाब की व्यथा है बेचारा ! सुन्दर अभिव्यक्ति , बधाई
गुलाब' ... बिलकुल यु टर्न ले लिया है आपने ने इस कविता में... महादेवी से अज्ञेय ... अलग दृष्टि की कविता है...
ReplyDeletegulab ke mano bhavon ko bakhoobi vyakt kiya hai aapne...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और लाजवाब रचना !
ReplyDeleteजहाँ लगाई जाती है
ReplyDeleteइनकी बोली और कीमत
सुगंध और संवेदनाओं को परे रखकर
मार्मिक है इस गुलाब की कहानी भी बहुत अच्छी रचना। बधाई।
badhiya ...
ReplyDeleteदेखते ही गुलाब
ReplyDeleteहर्षित होता है तन मन
पर सर्द में लगा देख
जम गया है उत्साह
हो आई है सहानुभूति
प्रेम स्नेह और शुभकामना
के प्रतीक
गुलाब से .
Komal,anoothe bhaav!