पूर्ण हूँ मैं जो
प्रिय का संग
चन्द्र सूर्य सब
भरते सत रंग
नभ में नील
धरा धानी
खेतो में बाली
सरिता का पानी
सजी धजी
गोरी ठुमके
चूनर उडाए
हवा थमके
सरसों फूली
महक महकाए
उड़ता गुलाल
क्या साजन आये
भांग की मटकी
घर घर डोले
फाग बयार
सब बंधन खोले
आये सांवरिया
भर पिचकारी
कहाँ छिपोगी
राधा रानी
अपने रंग में
रंग दूं तुमको
रंग सलोना
दे दो मुझको .
सजी धजी
ReplyDeleteगोरी ठुमके
चूनर उडाए
हवा थमके
सरसों फूली
महक महकाए
उड़ता गुलाल
क्या साजन आये
rang hi rang... holi ki shubhkamnayen
बहुत सुन्दर रंगों में सजी रचना ..
ReplyDeleteमधुर रंगों में पगी रचना।
ReplyDeleteहोली के देख रंग
ReplyDeleteभीग गया मन
कहे शीतल चितवन
प्रेम से गहरा दूजा ना रंग
सरसों फूली
ReplyDeleteमहक महकाए
उड़ता गुलाल
क्या साजन आये
Kaise mahakte hue rangeen bhaav hain!
manmohak rachna, priyras se bhari
ReplyDeleteshubhkamnayen
आये सांवरिया
ReplyDeleteभर पिचकारी
कहाँ छिपोगी
राधा रानी
अपने रंग में
रंग दूं तुमको
रंग सलोना
दे दो मुझको .
होली के रंगों कि सुंदर छटा बिखेरती सुंदर कविता.
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.
holi ke rango aur mahk se rachi sunder rachna...
ReplyDeleteबहुत बहुत मुबारक हो रंगों का त्योहार ...
ReplyDeleteमधुर रंगों में सजी रचना
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