Thursday, March 17, 2011

रंग सलोना दे दो मुझको





पूर्ण  हूँ मैं जो
प्रिय का संग
चन्द्र सूर्य सब
भरते सत रंग

नभ में नील
धरा धानी
खेतो में बाली
सरिता का  पानी

सजी धजी
गोरी ठुमके
चूनर उडाए
हवा थमके  


सरसों फूली 
महक महकाए 
उड़ता गुलाल
क्या साजन आये 

भांग की मटकी 
घर घर डोले 
फाग बयार 
सब बंधन खोले 

आये सांवरिया 
भर पिचकारी 
कहाँ छिपोगी 
राधा रानी 

अपने रंग में 
रंग दूं तुमको 
रंग सलोना 
दे दो मुझको .

10 comments:

  1. सजी धजी
    गोरी ठुमके
    चूनर उडाए
    हवा थमके
    सरसों फूली
    महक महकाए
    उड़ता गुलाल
    क्या साजन आये
    rang hi rang... holi ki shubhkamnayen

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  2. बहुत सुन्दर रंगों में सजी रचना ..

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  3. मधुर रंगों में पगी रचना।

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  4. होली के देख रंग
    भीग गया मन
    कहे शीतल चितवन
    प्रेम से गहरा दूजा ना रंग

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  5. सरसों फूली
    महक महकाए
    उड़ता गुलाल
    क्या साजन आये
    Kaise mahakte hue rangeen bhaav hain!

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  6. manmohak rachna, priyras se bhari

    shubhkamnayen

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  7. आये सांवरिया
    भर पिचकारी
    कहाँ छिपोगी
    राधा रानी

    अपने रंग में
    रंग दूं तुमको
    रंग सलोना
    दे दो मुझको .

    होली के रंगों कि सुंदर छटा बिखेरती सुंदर कविता.

    होली की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  8. holi ke rango aur mahk se rachi sunder rachna...

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  9. बहुत बहुत मुबारक हो रंगों का त्योहार ...

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  10. मधुर रंगों में सजी रचना

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