सब ओर छाया
नवीन उल्लास
ऋतुराज ने किया
कोई परिहास
आम में मंजर
कटहल में फूल
धरा चाहे बंजर
कटहल में फूल
धरा चाहे बंजर
हरीतिमा रही झूल
पायल की रुनझुन
गोरी के पाँव
गाये गीत गुनगुन
पीपल की छाँव
पायल की रुनझुन
गोरी के पाँव
गाये गीत गुनगुन
पीपल की छाँव
धीमे सुर में
मीठे स्वर में
ताप हर जाती
कोयल गाती
ताप हर जाती
नई उमंग
प्रीत है नई
मन में तरंग
आशाएं कई
ह्रदय हुलसी
सपनों की लड़ी
आँगन तुलसी
जोडती कड़ी
पतझड़ हारा
आई नव कोपल
परिवेश सारा
नूतन कोमल .
achi rachna hai nature ke liye
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteरचना में प्रतीकों का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है आपने!
ReplyDeleteकविता की ध्वन्यात्मकता देखते ही बनती है!
सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आभार!
प्राकृतिक बिम्बों का अद्भुत प्रयोग!
ReplyDeleteसुंदर रचना।
नई उमंग
ReplyDeleteप्रीत है नई
मन में तरंग
आशाएं कई
kafi achhi rachna
सुन्दर.
ReplyDeleteप्रकृति के माध्यम से आशा का संचार करती कविता !
ReplyDeleteआयी नव कोपलें, स्वागत करें।
ReplyDeleteपतझड़ हारा
ReplyDeleteआई नव कोपल
परिवेश सारा
नूतन कोमल .
prakriti avum jeevan mein samanjasya sthapit karti rachna. achha laga padhna
shubhkamnayen
बहुत सुन्दर प्रकृति वर्णन
ReplyDeleteMan ek komal ehsaas se bhar gaya!
ReplyDeleteअच्छी अभिब्यक्ति
ReplyDeleteरामपति जी अच्छी रचना है बधाई
ReplyDeleteप्राकृतिक बिम्बों का अद्भुत प्रयोग!
ReplyDeleteसुंदर रचना।
बहुत सुंदर रचना.... अंतिम पंक्तियों ने मन मोह लिया...
ReplyDeleteनूतन नाम से आकर्षित हो कर इस रचना को पढ़ा ... बहुत ही सुन्दर प्रकृति की सुंदरता और नूतन कोमलता का वर्णन ..अद्भुत ..
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