नदी में आ गया
भीषण सैलाब
साथ देने को फट पड़ा
हुंकारता बादल
और विलुप्त हो गए
कई गावं शहर
खेत खलिहान
और सभ्यताएं भी .
नाराज थी नदी
कि क्यों रौंदा
आँचल उसका
क्यों किया मलिन
उसका निर्मल जल .
लौटा दिया उसने
शवों का अम्बार
दिखा दिया उसने
प्रकर्ति है सर्वोपरि
चाहिय उसे भी
थोड़ी सी निजता .
बिलकुल सही ...
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