Friday, July 12, 2013

नदी




नदी में आ गया

भीषण सैलाब

साथ देने को फट पड़ा

हुंकारता बादल

और विलुप्त हो  गए

कई गावं शहर

खेत खलिहान

और सभ्यताएं भी  .


नाराज थी नदी

कि  क्यों रौंदा

आँचल उसका

क्यों किया मलिन

उसका निर्मल जल .


लौटा दिया उसने

शवों का अम्बार

दिखा दिया उसने

प्रकर्ति है सर्वोपरि

चाहिय उसे भी

थोड़ी सी निजता .

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