Tuesday, May 31, 2011

तुम्हारे जाने के बाद











हवा
नही रुकेगी

बहेगी अनवरत
लेकिन नही होगी उसमें
खुश्बू तुम्हारी
तुम्हारे जाने के बाद...

धूप का
नहीं  बदलेगा रंग 

न ही ताप
लेकिन गीली नही होगी
धूप
तुम्हारे जाने के बाद


एक गौरैया 
आएगी मेरी खिड़की पर 
सुनाएगी गीत 
पर उसमें नहीं होगी 
मिठास 
तुम्हारे जाने के बाद 

आएगी बरखा 
घूँघट उठा 
बरसेगी छमछम 
फुहारों से अपनी 
भिगोएगी तन 
पर नहीं भीगेगा 
मन 
तुम्हारे जाने के बाद 

बांह पसारे 
पसरेगा वसंत
झूमेंगें भँवरे 
गायेंगी तितलियाँ 
खिलेंगे सुमन 
पर नहीं खिलेगी मेरी 
आशाओं की कली
तुम्हारे जाने के बाद 

थके क़दमों से
आएगा चंदा 
बिखराएगा चंदनिया
पर  नहीं भर पायेगा 
उजास 
मेरे आँगन 
तुम्हारे जाने के बाद .

10 comments:

  1. tumhare jane ke baad:)
    par tum jaoge hi kyon....:D

    behtareen abhivyakti!

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  2. कुछ नहीं जायेगा पर सब खाली हो जायेगा।

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  3. हमारी दुनिया बदल जाती है..बाकी सबके लिए सब कुछ यथावत रहता है....कितना बदल जाता है सब...तुम्हारे जाने के बाद


    -बेहद भावपूर्ण.

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  4. लड़की! बहुत भाव भरा लिखती हो.अब तो जम कर बैठ कर तुम्हे पूरा पढ़ना होगा.'तुम' लिख रही हूँ .नाराज न होना.जाने क्यों 'तुम' लिखने की इच्छा हो रही है तुम्हे.
    ये कविता सचमुच बहुत ही मर्मस्पर्शी है. देखना मेरी एक कविता ऐसी ही है दो साल पहले लिखी थी ,रिश्ते, भाव, धड़कता दिल जब एक सा होता है भाव भी एक से बहते हैं.
    बहुत प्यारा लिखा है जितना कहूँ कम है.मुझे भीतर तक भिगो दिया है इसने. बहुत लम्बा सफर तय करना है अभी.अभी से ये सब न सोचो.
    प्यार

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  5. थके क़दमों से
    आएगा चंदा
    बिखराएगा चंदनिया
    पर नहीं भर पायेगा
    उजास
    मेरे आँगन
    तुम्हारे जाने के बाद .

    awesome

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  6. बहुत भावमयी प्रस्तुति

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  7. bahut khoobsoorati se piroye bhav...

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  8. सच किसी के जाने के बाद सब कुछ बदल सा जाता है...अप्रतिम रचना..
    नीरज

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  9. आएगी बरखा
    घूँघट उठा
    बरसेगी छमछम
    फुहारों से अपनी
    भिगोएगी तन
    पर नहीं भीगेगा
    मन
    तुम्हारे जाने के बाद.

    बहुत सुंदर भाव. बधाई.

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  10. आएगी बरखा
    घूँघट उठा
    बरसेगी छमछम
    फुहारों से अपनी
    भिगोएगी तन
    पर नहीं भीगेगा
    मन
    तुम्हारे जाने के बाद


    बांह पसारे
    पसरेगा वसंत
    झूमेंगें भँवरे
    गायेंगी तितलियाँ
    खिलेंगे सुमन
    पर नहीं खिलेगी मेरी
    आशाओं की कली
    तुम्हारे जाने के बाद


    थके क़दमों से
    आएगा चंदा
    बिखराएगा चंदनिया
    पर नहीं भर पायेगा
    उजास
    मेरे आँगन
    तुम्हारे जाने के बाद


    "तुम्हारे जाने के बाद " aah! antarman ko bhedti ye pankti.....dukh ki peeda ko shabdon ke aansoo se tar karti aapki ye rachna.....
    aahh bhi aur wahh bhi
    badhai qabool karein

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