हथेलियों में भर दूं तुम्हारी
सरसों के फूल
और तुम्हारे कानों में कहूं
वसंत आ गया है ।
चाहता हूँ गेहूं की बालियों से
गूँथ दूं तुम्हारे केश
और तुम्हारे कानों में कहूं
वसंत आ गया है ।
साख से झड़ते
पत्ते रख दूं तेरे क़दमों में
और तुम्हारे कानों में पूछूं
वसंत के बाद यूं पतझड़ की तरह
ठुकरा तो नहीं दोगी ।
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