एक राजकुमारी थी
देखने में दुनिया को
नहीं लगती थी
खूबसूरत
दिल था उसका अच्छा
अच्छी थी उसकी सीरत ।
एक साधारण सा
इंसान आया और
राजकुमारी से करने लगा
प्यार ।
राजकुमारी ने पूछा
ना मेरे पास रूप
ना मेरे पास रंग
फिर क्यों करते हो
मुझसे इतना प्यार ।
वो साधारण युवक
चुप रहा
कुछ नहीं बोला
प्यार करता रहा
राजकुमारी को
बेइन्तहा चाहता रहा ।
राजकुमारी
पूछती रही
बस ए़क सवाल ।
एक दिन
एक आदमी बीमार पड़ा
कोई उसे देखने नहीं आया
राजकुमारी
उधर से रही थी गुजर
उसने बीमार आदमी की मदद की ।
वो युवक
मुस्कुराता रहा
राजकुमारी से प्यार करता रहा
राजकुमारी बस पूछती रही
क्यों करते हो इतना प्यार ।
फिर एक दिन
एक आदमी को जरुरत पड़ी
राजकुमारी ही आगे आयी
युवक देखता रहा
उसे अपनी राजकुमारी पर गर्व था
अपने प्यार पर गर्व था
अभिमान था
राजकुमारी ने फिर पूछा
क्यों करते हो इतना प्यार ।
एक दिन
वो युवक स्वयं
मुसीबत में फंस गया
उसका कोई सगा
कोई दोस्त साथ नहीं आये
राजकुमारी फिर भी आयी ।
राजकुमारी ने फिर पूछा
क्यों करते हो इतना प्यार
एक साधारण से
नहीं मुझमें कुछ खास
फिर क्यों करते हो इतना प्यार ।
युवक आया
अपने साथ
एक जादुई दर्पण लाया
राजकुमारी के सामने उसने दर्पण रखा ।
राजकुमारी को
अपना चेहरा उसमें दिखाई नहीं दिया
उसमें थी
कमल पर विराजमान लक्ष्मी
हंस पर सवार सरस्वती
शिव के साथ पार्वती
और
कृष्ण के साथ राधा ।
राजकुमारी खुद को
पहचान ना सकी
लेकिन
उस साधारण युवक को राजकुमारी की
हो गई थी पहचान ।
राजकुमारी ने
पलट कर देखा
युवक वहां नहीं था
राजकुमारी की सही पहचान दिखाने के लिए
उसने किया था जादूगर से समझौता
और उस जादुई दर्पण के बदले
कर दिया था स्वयं का समर्पण ।
राजकुमारी आज भी है
लेकिन युवक नहीं आ सका लौट कर
आँगन के गमले में
फूल बनकर
आज भी रिझाता है वो
अपनी राजकुमारी को ।
कभी पहचान पायेगी उसे
क्या मिल पायेगा युवक को
उसका प्यार
जिसने राजकुमारी को बताई
उसकी सही पहचान
युवक इन्तजार में है
आज भी .
दिल चुरा कर ले गये आपके भाव्…………॥ये होता है प्रेम और उसकी पराकाष्ठा……………बेहतरीन कविता।
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