फूलों के रथ पर
होकर सवार
आया है कोई
राजकुमार ।
देखो मिलने चला
अपनी महबूबा को
चुप चुप देखे
अपनी दिलरूबा को ।
बिठला के डोली
पलकों की छावं
सजी है गोरी
है रुनझुन पावं ।
लेकर चला
अपने द्वार
सतरंगी सपने
करते हैं इन्तजार ।
क्या वो करे
कुछ समझ न आये
किससे कहे
जिया का वो हाल ।
देखे जो उसको
तो लब सी जाये
मन की उलझन
कर दे बेहाल ।
बातों ही बातों में
नैना भर आये
आँखों ही आँखों में
रैना बीती जाए ।
क्या यही है 'प्रीत '
कोई तो बताये
इस पागल दिल को
कोई तो समझाए ।
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