बरखा रानी
मन भाई है
इन्द्रधनुष को न्योता
देकर आई है
तुम ही हो
रंगों के सौदागर
भर देना जीवन
रंगीन उजागर
बरस के मेघा
लौट न जाना
करना शीतल
यहीं बस जाना
नहा लिए
तरू और तरूवर
धोया मन
मेरा भी प्रियवर
रिमझिम बूँदें
खिली खिली हैं
लगती राघव से
गले मिली हैं
भीगा मौसम
भीगे नैना
दूर जा बसी
छोड़ के मैना
पिहू पिहू
करे पपीहा
पुकार पुकार
थके न जिव्हा .
बहुत सुन्दर चित्रण्।
ReplyDeleteवर्षा का रंग अलमस्त होता है।
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति ||
ReplyDeleteबधाई ||
भीगा मौसम
ReplyDeleteभीगे नैना
दूर जा बसी
छोड़ के मैना
....वाह ! इसके आगे शब्द ही नहीं हैं.
barkha rani par ek achchhi rachana padhane ke liye dhanyavad
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत ||
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.