Saturday, July 23, 2011

भीगे नैना




बरखा रानी 
मन भाई है
इन्द्रधनुष को न्योता
देकर आई है  

तुम ही हो 
रंगों के सौदागर
भर देना जीवन 
रंगीन उजागर

बरस के मेघा 
लौट न जाना 
करना शीतल 
यहीं बस जाना 

नहा लिए 
तरू और तरूवर 
धोया मन 
मेरा भी प्रियवर 

रिमझिम बूँदें 
खिली खिली हैं
लगती राघव से 
गले मिली हैं 

भीगा मौसम 
भीगे  नैना 
दूर जा बसी 
छोड़ के मैना 

पिहू पिहू 
करे पपीहा 
पुकार पुकार 
थके न जिव्हा .  

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर चित्रण्।

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  2. वर्षा का रंग अलमस्त होता है।

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  3. अच्छी प्रस्तुति ||

    बधाई ||

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  4. भीगा मौसम
    भीगे नैना
    दूर जा बसी
    छोड़ के मैना
    ....वाह ! इसके आगे शब्द ही नहीं हैं.

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  5. barkha rani par ek achchhi rachana padhane ke liye dhanyavad

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  6. बहुत ही खूबसूरत ||

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  7. सुंदर प्रस्तुति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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