पर काटती नहीं
बल्कि गढ़ती है
नया कुछ कहीं
काट दे अवांछित
बीच में जो आये
आकार दे अपेक्षित
कि मन को भाए
इस्पात है भरा
हथियार नहीं है
सोने सा है खरा
दुर्लभ नहीं है
प्रेम को न काटे
दोस्ती की पैरहन
बस भाईचारा बांटे
सदभावना गहन
अनगढ़ को सूरत
बुराई को दूर करे
बनाये ऐसी मूरत
अच्छाई का दंभ भरे
धार है बहुत
रखती है पैनापन
दोस्त हो या दुश्मन
कैसा है नयापन
कैंची है अनूठी
पर प्रीत न काटे
लगती नहीं झूठी
बैर भी न बांटे
कैंची है अनूठी
ReplyDeleteपर प्रीत न काटे
लगती नहीं झूठी
बैर भी न बांटे
kya baat hai madam je, apne toh kanchi ka arth he change kar diya
कैंची पर ही कविता लिख दी हा हा हा
ReplyDeleteकाट दे अवांछित
बीच में जो आये
आकार दे अपेक्षित
कि मन को भाए
सच कहा है 'जहाँ ना पहुंचे रवि वहाँ पहुंचे कवि.
धार है बहुत
ReplyDeleteरखती है पैनापन
दोस्त हो या दुश्मन
कैसा है नयापन
कैंची है अनूठी
पर प्रीत न काटे
लगती नहीं झूठी
बैर भी न बांटे
सच में यह कैंची .....अबांछित को काटती है और बांछित को जोडती है ...आपने कैंची के माध्यम से सार्थक भाव को संप्रेषित करते हुए एक सुंदर सन्देश भी दिया है .....आपका आभार
कैंची पर भी कविता लिखी जाएगी सोचा न था... बेहतरीन कविता...
ReplyDeleteकाटते भी रहना चाहिये, अवांछित तत्व।
ReplyDeleteप्रेम को न काटे
ReplyDeleteदोस्ती की पैरहन
बस भाईचारा बांटे
सदभावना गहन
Wah, kya kavita rachee hai qaichee pe! Maine to kabhee soch bhee nahee tha!
अरे वाह..अनूठा विषय और अनूठी रचना...बधाई
ReplyDeleteनीरज
एक अलग अंदाज...बहुत खूब!!
ReplyDeletekhoobsoorat andaaz ..
ReplyDeleteअनगढ़ को सूरत
ReplyDeleteबुराई को दूर करे
बनाये ऐसी मूरत
अच्छाई का दंभ भरे
कैंची का बिम्ब लेकर गहन अभिव्यक्ति लिए पंक्तियाँ रची आपने..... बहुत बढ़िया
आपकी इस उत्कृष्ट प्रवि्ष्टी की चर्चा आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर भी की गई है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल उद्देश्य से दी जा रही है!
काट दे अवांछित
ReplyDeleteबीच में जो आये
आकार दे अपेक्षित
कि मन को भाए ||
बहुत बढ़िया
ab aap bhi machine ke manvikaran me lag gayee:)
ReplyDeleteवाह ...बहुत बढि़या ।
ReplyDeleteआज आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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कैंची की धार जैसी जबान या कलम भी तो यही करती है !
ReplyDeleteसुन्दर !
बहुत ही अच्छी और अनूठी रचना है आपकी । ऐसे ही लिखते रहिए । शुभकामनायें
ReplyDeleteaaj bahut dino baad aapko pada....hamesha ki tarah aapke shabo ke pairhan saleeke se bani hoti hai.
ReplyDelete......बहुत बढ़िया
ReplyDeleteकैंची के माध्यम से सुंदर सन्देश भी दिया है .....आपका आभार
गहन भाव समेटे बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.