Friday, September 16, 2011

एक उजास


दीया तुम 
तुम्ही बाती
तेल भी तुम 
उजाला लाती  


आहुति तुम 
तुम्हीं समिधा
मंत्र भी तुम 
देवों की विधा 

प्रज्ज्वल तुम 
तुम्हीं प्रकाश 
सितारा तुम 
भरती आकाश 

जीवन तुम 
तुम्हीं धड़कन 
सांसें तुम 
तुम्हीं स्पंदन 

पुरवा तुम 
तुम्हीं रिमझिम 
शीतल तुम 
बरसो छमछम

साज हो तुम 
तुम्हीं श्रृंगार 
सरगम तुम 
तुम्हीं मल्हार  


                                                                  एक उजास 
नैनन भर देता 
दूर है वास 
अंक भर लेता . 

8 comments:

  1. एक उजास
    नैनन भर देता
    दूर है वास
    अंक भर लेता .
    --
    बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  2. जीवन तुम
    तुम्हीं धड़कन
    सांसें तुम
    तुम्हीं स्पंदन
    ,बहुत सुंदर भावाव्यक्ति ,बधाई

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  3. समर्पण का उच्चतम स्वर।

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  4. बहुत सुन्दर भाव!!!

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  5. जीवन तुम
    तुम्हीं धड़कन
    सांसें तुम
    तुम्हीं स्पंदन ..

    बहुत खूब ... सिमित शब्दों में गहरी बात ... लाजवाब ...

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  6. सुन्दर और भाव पूर्ण रचना के लिए बहुत-बहुत आभार...

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  7. ..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती

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