Monday, August 22, 2011

अनुभव












जिन्दगी ने कुछ 
यूं ही बांटे 
कभी दिए फूल 
तो कभी कांटे 

कभी दिखाया 
झिलमिल अर्श 
तो कभी बैठाया 
खाली फर्श 

भर दी कुछ 
आँखों में स्याही 
पलकें भी गई 
जुगनू से ब्याही 

बैचैन था बहुत 
मिला अमलताश 
प्रतीक्षा में रहा 
सुर्ख सा पलाश 

रूकना तुम नहीं 
चलते जाना राही 
ठहरना वहीँ 
जाओ जहाँ चाही 

दरिया की जैसे 
एक तुम लहर 
कैसे कटेगा जीवन 
न बीते प्रहर 

जिन्दगी ने दिया 
अनुभव अनूठा 
खुशियाँ हैं जाती 
दिखाती अगूंठा . 

15 comments:

  1. बहुत खूब .. जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !!

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  2. बधाई और शुभकामनाये !

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  3. जिन्दगी ने कुछ
    यूं ही बांटे
    कभी दिए फूल
    तो कभी कांटे ....bahut khub kaha hai aapne....shubhkamnaye.

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  4. जिन्दगी ने कुछ
    यूं ही बांटे
    कभी दिए फूल
    तो कभी कांटे !bahut khub kaha hai .shubhkamnaye.
    saadar

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  5. बहुत सुन्दर और सटीक रचना

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  6. भर दी कुछ
    आँखों में स्याही
    पलकें भी गई
    जुगनू से ब्याही

    bahut khoobsuraat.... achha laga aapko padhna.

    shubhkamnayen

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  7. इसी का नाम जिंदगी है ... नए नए अनुभव ददति जाती है ... अच्छा लिखा है बहुत ...

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  8. यही है ज़िन्दगी………।सु्न्दर प्रस्तुति।

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  9. जिन्दगी ने दिया
    अनुभव अनूठा
    खुशियाँ हैं जाती
    दिखाती अगूंठा .


    sach kaha aapne...aisa hi to hota hai!

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  10. जिन्दगी ने दिया
    अनुभव अनूठा
    खुशियाँ हैं जाती
    दिखाती अगूंठा .
    बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....

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  11. कभी धूप तो कहीं छाँह।

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