जिन्दगी ने कुछ
यूं ही बांटे
कभी दिए फूल
तो कभी कांटे
कभी दिखाया
झिलमिल अर्श
तो कभी बैठाया
खाली फर्श
भर दी कुछ
आँखों में स्याही
पलकें भी गई
जुगनू से ब्याही
बैचैन था बहुत
मिला अमलताश
प्रतीक्षा में रहा
सुर्ख सा पलाश
रूकना तुम नहीं
चलते जाना राही
ठहरना वहीँ
जाओ जहाँ चाही
दरिया की जैसे
एक तुम लहर
कैसे कटेगा जीवन
न बीते प्रहर
जिन्दगी ने दिया
अनुभव अनूठा
खुशियाँ हैं जाती
दिखाती अगूंठा .
बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteबहुत खूब .. जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !!
ReplyDeleteबधाई और शुभकामनाये !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteजिन्दगी ने कुछ
ReplyDeleteयूं ही बांटे
कभी दिए फूल
तो कभी कांटे ....bahut khub kaha hai aapne....shubhkamnaye.
जिन्दगी ने कुछ
ReplyDeleteयूं ही बांटे
कभी दिए फूल
तो कभी कांटे !bahut khub kaha hai .shubhkamnaye.
saadar
बहुत सुन्दर और सटीक रचना
ReplyDeleteभर दी कुछ
ReplyDeleteआँखों में स्याही
पलकें भी गई
जुगनू से ब्याही
bahut khoobsuraat.... achha laga aapko padhna.
shubhkamnayen
bhaut hi acchi rachna....
ReplyDeleteइसी का नाम जिंदगी है ... नए नए अनुभव ददति जाती है ... अच्छा लिखा है बहुत ...
ReplyDeleteयही है ज़िन्दगी………।सु्न्दर प्रस्तुति।
ReplyDeletesunder prastuti.
ReplyDeleteजिन्दगी ने दिया
ReplyDeleteअनुभव अनूठा
खुशियाँ हैं जाती
दिखाती अगूंठा .
sach kaha aapne...aisa hi to hota hai!
जिन्दगी ने दिया
ReplyDeleteअनुभव अनूठा
खुशियाँ हैं जाती
दिखाती अगूंठा .
बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
कभी धूप तो कहीं छाँह।
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