बादल है गडड मड्ड
रहे हैं घुमड़
लेकर अपनी स्याही
ओट में है
आशाओं का सूरज धूमिल हो रहे है
मेरी किस्मत के सितारे .
गडगडाहट से इनकी
गिरती हैं
उम्मीदें
कड़कड़ाहट से इनकी
डिगता है
विश्वास .
छाये है
बनकर कालिमा
लक्ष्यों पर मेरे
छिपायें है
सारी लालिमा
भोर की मेरे
अब बरस भी जाओ
फुहार बनकर
या बहक ही जाओ
बहार बनकर
कि छंट जाए
ये बादल चौमासे
चमक जाए सूरज
मेरे ओसारे
हो जाए धवल
मेरे हिस्से का आसमान
खिल उठे चांदनी
चाँद की मेरे
लाल हो जाए लाली
आदित्य की मेरे