बादल है गडड मड्ड
रहे हैं घुमड़
लेकर अपनी स्याही
ओट में है
आशाओं का सूरज धूमिल हो रहे है
मेरी किस्मत के सितारे .
गडगडाहट से इनकी
गिरती हैं
उम्मीदें
कड़कड़ाहट से इनकी
डिगता है
विश्वास .
छाये है
बनकर कालिमा
लक्ष्यों पर मेरे
छिपायें है
सारी लालिमा
भोर की मेरे
अब बरस भी जाओ
फुहार बनकर
या बहक ही जाओ
बहार बनकर
कि छंट जाए
ये बादल चौमासे
चमक जाए सूरज
मेरे ओसारे
हो जाए धवल
मेरे हिस्से का आसमान
खिल उठे चांदनी
चाँद की मेरे
लाल हो जाए लाली
आदित्य की मेरे
अब बरस भी जाओ
ReplyDeleteफुहार बनकर
या बहक ही जाओ
बहार बनकर
कि छंट जाए
ये बादल चौमासे
चमक जाए सूरज
मेरे ओसारे
waaaaah
खूब संवाद है, प्रकृति के माध्यम से।
ReplyDeleteआशाओं का सूरज
ReplyDeleteप्यारी कविता
सुन्दर अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteहो जाए धवल
ReplyDeleteमेरे हिस्से का आसमान
खिल उठे चांदनी
चाँद की मेरे
लाल हो जाए लाली
आदित्य की मेरे
बहुत सुन्दर ...आशावान रचना
हो जाए धवल
ReplyDeleteमेरे हिस्से का आसमान ....
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
हो जाए धवल
ReplyDeleteमेरे हिस्से का आसमान
स्वच्छ इच्छा .. स्वच्छ एहसास
बहुत सुन्दर कविता...
ReplyDeleteमेरे हिस्से का आसमान.. अच्छा विम्ब प्रयोग है...
मन के भाव दर्शाने के लिए बिम्बों का प्रयोग अच्छा लगा।
ReplyDelete"अब बरस भी जाओ
ReplyDeleteफुहार बनकर
या बहक ही जाओ
बहार बनकर
कि छंट जाए
ये बादल चौमासे
चमक जाए सूरज
मेरे ओसारे "... आशा से भरी कविता.. नूतन विम्ब प्रयोग !
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ReplyDeleteऔर कितना बरसाना है
ReplyDeleteइन बादलों को,
बस भी करो
क्यों सबको परेशां करना चाहते हो,
क्योंकि जब जब बादल बरसता है
तब तब या तो कोई बर्बाद होता है
या कोई आबाद होता है
हो जाए धवल मेरे हिस्से का आसमान...
ReplyDeleteमनमोहक रचना।
बहुत बेहतरीन!
ReplyDeleteमौसम के मिज़ाज को बहुत सुंदर ढंग से दर्शाया है आपने...बढ़िया प्रस्तुति...बधाई
ReplyDeleteअहसासों का बहुत अच्छा संयोजन है ॰॰॰॰॰॰ दिल को छूती हैं पंक्तियां ॰॰॰॰
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