Monday, March 21, 2011

राग रंग में हुई गुनगुन













लाली लेकर गुलाल आया 
गालों पर मेरे गया ठहर 
वासंती करने की हठ लाया 
करता प्रमोद आठों प्रहर

लाल, हरा, नीला , पीला 
ठिठोली करते एक दूजे से  
किसका रंग चटक है गीला  
पूछ रहे हैं सब मुझ ही  से

कौन रहेगा कितने दिन 
रंगों की है कौन बिसात 
धूमिल कौन रहे निस दिन 
मन बसी है किसकी बात 


रंगों को है नहीं खबर 
रंगत जो मुझ पर छाई
टेसू के फूलों से ले ली  
सुर्खी वह मेरे मन भाई

लिपट लिपट एक दूजे से 
खोते  जाते अपना रंग
उसका रंग चढ़ा खुद पर 
उसको रंग जाते अपने रंग 


गया वसंत पतझड़ आया 
खिली  कोपलें नई नई  
मंजरियों का झुरमुट छाया 
लेकर उम्मीदें कई कई   

बीत गया सारा फागुन 
रंगों पर ख़ामोशी छाई 
राग रंग में हुई गुनगुन
दोनों ने मिल तान लगाई .  

13 comments:

  1. ऐसे ही इन्द्रधनुषीय रंग बिखेरते रहिये।

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  2. वाह क्या रंगीली रचना है !
    आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  3. लिपट लिपट एक दूजे से
    खोते जाते अपना रंग
    उसका रंग चढ़ा खुद पर
    उसको रंग जाते अपने रंग ... bahut badhiyaa

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  4. बीत गया सारा फागुन
    रंगों पर ख़ामोशी छाई
    राग रंग में हुई गुनगुन
    दोनों ने मिल तान लगाई .

    kya kahne hain......holi ki satrangi shubhkamnayen...

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  5. लिपट लिपट एक दूजे से
    खोते जाते अपना रंग
    उसका रंग चढ़ा खुद पर
    उसको रंग जाते अपने रंग
    Wah! Behad sundar rachana!

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  6. सुन्दर... होली की शुभकामनाएं

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  7. इस रंग-बिरंगी रचना का तो जवाब नहीं!
    --
    सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  8. लिपट लिपट एक दूजे से
    खोते जाते अपना रंग
    उसका रंग चढ़ा खुद पर
    उसको रंग जाते अपने रंग.

    सुन्दर अभिव्यक्ति, होली की शुभकामनाएं.

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  9. बेहतरीन अभिव्यक्ति।

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  10. बीत गया सारा फागुन
    रंगों पर ख़ामोशी छाई
    राग रंग में हुई गुनगुन
    दोनों ने मिल तान लगाई .
    बहुत सुन्दर बधाई

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  11. बहुत सुन्दर फागुनी रचना. शुभकामनायें.

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  12. फागुन बीतते आखिर रंगों ने रंग दिखा ही दिया ...
    शुभकामनायें !

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  13. bas pink colour rukta hai sab rango ke jane ke baad, bt nice

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