Thursday, March 24, 2011

बूँद भर ख़ुशी







बूँद भर ख़ुशी 
लौटाती है प्राण
निस्तेज देह  में 
शरशैया से 

बूँद भर ख़ुशी 
भर देती है उजास 
जब आती है 
तुम्हारी कुशल  

बूँद भर ख़ुशी 
ले आती है उल्लास 
जब नियत होता है दिन
तुम्हारे आने का 

बूँद भर ख़ुशी 
हर लेती है संताप 
जब करता हूँ कुछ 
 मैं तुम्हारे लिए

बूँद भर ख़ुशी 
भर देती है सपने 
जब हौले से कहती हो 
चाँद निकल आया 

बूँद भर ख़ुशी 
पास ले आती है लक्ष्य  
जब आता  हूँ मैं
तुम्हारे पद चिन्हों पर

बूँद भर ख़ुशी 
भर देती है उमंग 
जब देखता हूँ मैं 
तुम्हें मुस्कुराते हुए 

बूँद भर ख़ुशी 
भर देती  हर घाव 
जब करता हूँ महसूस 
तुम्हारा स्निग्ध सान्निध्य  .

11 comments:

  1. सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।
    ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.

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  2. बूँद भर ख़ुशी
    भर देती है सपने
    जब हौले से कहती हो
    चाँद निकल आया
    वाह !कितनी अच्छी रचना लिखी है आपने..! बहुत ही पसंद आई

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  3. बूँद भर ख़ुशी
    ले आती है उल्लास
    जब नियत होता है दिन
    तुम्हारे आने का
    khushiyon ki jhaalren tang jati hain, jab tumhare aane ki baat hoti hai

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  4. भावपूर्ण रचना.

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  5. बूँद भर ख़ुशी
    भर देती है उमंग
    जब देखता हूँ मैं
    तुम्हें मुस्कुराते हुए

    Unke muskuraane ka asar dekhiye kitna hai ... dil mein umang bhar deta hai .. lajawaab rchna ..

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  6. भावपूर्ण रचना. बहुत अच्छी लगी.

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  7. बूँद भर खुशी के लिये चलता संसार।

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  8. bund bhari khushi....aa gayee man me jab aankhe thirak rahi thee net blog ke apke panne par:)

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  9. बूँद भर ख़ुशी
    भर देती है सपने
    जब हौले से कहती हो
    चाँद निकल आया...
    बहुत ख़ूबसूरत पंक्तियाँ! इस लाजवाब और भावपूर्ण रचना के लिए आपको ढेर सारी बधाइयाँ!

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  10. बूँद भर ख़ुशी
    भर देती है उमंग
    जब देखता हूँ मैं
    तुम्हें मुस्कुराते हुए .

    बूँद भर खुशी ही तो जीने का संबल है. सुंदर कविता.

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