Thursday, March 31, 2011

लघु जीवन







ओस की बूँद 
बहुत निर्मल 
गिरती जिस पर
करती पावन 

फूलों पर 
मोती बिखराती 
पत्तों पर भी 
रूप सजाती 

आँख खुले 
पलकों सजती 
प्रकृति में 
शीतलता भरती 

बांह पसारे  
ह्रदय लगाती 
कल फिर आऊंगी  
कानों में कहती

नभ से गिरती 
और फिसलती 
नव दिन की 
आशा भरती 

स्वयं कहती 
एक कहानी 
आना मिटना 
जीवन की रवानी 

क्षणभंगुर है 
अपना  उपवन 
मधुमय करता 
इसका लघु जीवन   .

9 comments:

  1. स्वयं कहती
    एक कहानी
    आना मिटना
    जीवन की रवानी

    ati sundar, kya baat hai

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  2. बांह पसारे
    ह्रदय लगाती
    कल फिर आऊंगी
    कानों में कहती
    yun baaten karti hai kuch kah jati hai

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  3. ओस का लघु जीवन मानव जीवन के लिए कैसे प्रेरणा बन सकता है,आपने कविता के माध्यम से कहा है.. बहुत सुन्दर कविता...

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  4. क्षणभंगुर है
    अपना उपवन
    मधुमय करता
    इसका लघु जीवन .

    Sach hai OS ka jeevan bahut chota hota hai par gahri seekh de jaata hai ...

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  5. क्षणभंगुर है
    अपना उपवन
    मधुमय करता
    इसका लघु जीवन
    --
    सन्देश देती हुई रचना!
    बहुत सुन्दर बन गई है!

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  6. क्षणभंगुर है
    अपना उपवन
    मधुमय करता
    इसका लघु जीवन
    अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं सुन्दर रचना, बधाई

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  7. laghu jeevan me bhi kitani tazagi jeevan me bhar jati...aapki kavitaon me hamesha sunder saral shabdo me prakriti ka chitran hota hai jo man ko bhata hai...

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  8. लघु जीवन है,
    फिर भी मन है।

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  9. रामपति जी ओस की बूंद के लघु जीवन पर लिखी यह कविता इस क्षणिक जीवन के प्रति प्रेम को और बढ़ा रही है. बहुत दार्शनिक अंदाज़ में यह कविता लिखी गई है... अंग्रेजी के एक आधुनिक कवि राबर्ट ग्रेव्स की एक कविता ड्यू ड्राप एंड डाइमंड" की कुछ पंक्तियाँ आप पढ़िए ...
    ....The dew-drop carries in its eye
    Mountain and forest, sea and sky,
    With every change of weather;
    Contrariwise, a diamond splits
    The prospect into idle bits
    That none can piece together. .... खूबसूरत पंक्तियाँ हैं ये... बिलकुल आपकी कविता की तरह...

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