Monday, June 21, 2010

हीरा

बादलों का रंग
काला न होता
सोचो धरती
होती कितनी प्यासी ।

कोयल और पपीहे
की कूक से
मुग्ध होते हैं सब
रंग की किसे फ़िक्र ।

श्याम मिटटी में ही
जन्म लेता है
धवल कपास
और ताजगी देती चाय ।

कार्बन भी तो
होता है काला
परीक्षित रूप है
उसका हीरा !

प्यार की अबोली
इबारत समर्पित
है उस हीरा को
जो है सत्य, शिव और सुंदर ।

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