आपके स्पर्श से
जल बन जाता है
अमृत
देता है जीवन बन
संजीवनी
आपके इशारे से
ज्वालामुखी हो जाता है
शांत
और उसकी धाह हो जाती है
शीतल
आपके मुस्कुराने से
खिल जाते हैं पुष्प
और आ जाती है
बहार
आपके आने की आहट
से कूकती है कोयल
और आ जाता है
वसंत
आपकी निश्छल हंसी से
जीवंत हो उठता है
रोम रोम
और पड़ जाते हैं उसमें
प्राण ।
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