Thursday, June 24, 2010

आप

आपके स्पर्श से
जल बन जाता है
अमृत
देता है जीवन बन
संजीवनी

आपके इशारे से
ज्वालामुखी हो जाता है
शांत
और उसकी धाह हो जाती है
शीतल

आपके मुस्कुराने से
खिल जाते हैं पुष्प
और आ जाती है
बहार

आपके आने की आहट
से कूकती है कोयल
और आ जाता है
वसंत

आपकी निश्छल हंसी से
जीवंत हो उठता है
रोम रोम
और पड़ जाते हैं उसमें
प्राण ।

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