Wednesday, December 1, 2010
दोनों के दोनों
तुम यदि
वसंत हो
मैं भी तो
हेमंत हूँ
प्रिय हैं
दोनों के दोनों
तुम यदि
भोर हो
मैं भी तो
उजास हूँ
संग हैं
दोनों के दोनों
तुम यदि
राग हो
मैं भी तो
ताल हूँ
मधुर हैं
दोनों के दोनों
तुम यदि
चाँद हो
मैं भी तो
चाँदी डोर हूँ
शीतल हैं
दोनों के दोनों
तुम यदि
पुष्प हो
मैं भी तो
पराग हूँ
महकते हैं
दोनों के दोनों
तुम यदि
फाग हो
मैं भी तो
गुलाल हूँ
रंगीन हैं
दोनों के दोनों
तुम यदि
गीत हो
मैं भी तो
संगीत हूँ
चुम्बक हैं
दोनों के दोनों
तुम यदि
प्रेम हो
मैं भी तो
विश्वास हूँ
पूरक हैं
दोनों के दोनों .
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बेहद सुन्दर भाव सुमन्……………सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteतुम यदि
ReplyDeleteशब्द हो
मैं भी
एक नज़्म हूँ
बहुत खूब हैं
दोनों के दोनों .....
जितनी सुन्दर कविता उतने ही सुन्दर शब्द संयोजन। आभार।
ReplyDeleteदोनों के दोनों ...एक दूसरे के पूरक ...
ReplyDeleteजिंदगी खुशनुमा होनी ही है ...
बहुत सुन्दर,प्यारी,मधुर तान-सी,लहरों के गान सी कविता ...!
तुम यदि
ReplyDeleteप्रेम हो
मैं भी तो
विश्वास हूँ
पूरक हैं
दोनों के दोनों .
.........सुन्दर शब्द संयोजन।
किसकी बात करें-आपकी प्रस्तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्ददायक हैं।
तुम यदि
ReplyDeleteप्रेम हो
मैं भी तो
विश्वास हूँ
पूरक हैं
दोनों के दोनों .
बहुत सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति। बधाई।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता...बधाई स्वीकार करें
ReplyDeleteनीरज
तुम यदि
ReplyDeleteगीत हो
मैं भी तो
संगीत हूँ
चुम्बक हैं
दोनों के दोनों
अनोखे अंदाज की खूबसूरत कविता.
wahh shabdon ka samayojan kitna hridaysparshi aur bhavpurn hai.........qabil-e-taareef hai aapki ye rachna......
ReplyDeletebahot-bahot hi achchi lagi aapki rachna..
very good poem showing deep sense............
ReplyDeleteसंग संग रहो और खूब जियो
ReplyDeleteदोनो के दोनों
एक खूबसूरत आशा,उम्मीद और भाव ...जहाँ अलग नही संग है
दोनों के दोनों और ऐसे कि...अलग नही कर सकता कोई भी.
सच ऐसे ही कुछ भाव रखती हूँ मैं पर मात्र 'उनके' लिए नही सबके लिए और...अपने कृष्ण के लिए तो है ही.
क्या करू? सचमुच ऐसिच हूँ मैं भी.
प्यार इन खूबसूरत शब्दों,भावो को और रचनाकार तुम्हे भी .
वाह, एक दम अलग फ़ोर्मेट में लिखी कविता, दाम्पत्य जीवन के मधुर भाव को प्रस्तुत करती है। सच दोनों एक दूसरे के पूरक ही तो होते हैं।
ReplyDeleteतुम यदि
ReplyDeleteप्रेम हो
मैं भी तो
विश्वास हूँ
पूरक हैं
दोनों के दोनों .
behtreen jodiyan ....
ReplyDeleteतुम यदि कविता हो
ReplyDeleteतो मैं भी भाव हूं।
शब्द युग्म के अच्छे प्रयोग.
ReplyDelete-विजय तिवारी "किसलय" जबलपुर
सकारात्मक एवं आदर्श ब्लागिंग की दिशा में अग्रसर होना ब्लागर्स का दायित्त्व है : जबलपुर ब्लागिंग कार्यशाला पर विशेष.
प्रेम और परस्परता को नया आयाम देती यह कविता बहुत मधुर भाव दे रही है.. बार बार पढने को प्रेरित करती इस कविता में पाठक हर सटानज़ा में स्वयं को ढूंढता है.. सुन्दर कविता.. नए प्रारूप की कविता आपके भीतर की सम्भावना को दिखा रही है..
ReplyDeleteजीवन का आनंद उसे भरपूर मिला है
ReplyDeleteजिसने पूरक रहने का संकल्प लिया है।