घन लाये भर
बूंदों की खेप
तपते मन पर
प्रीत का लेप
झूम उठा
ठूंठ तरूवर
नजर उठा
देखे प्रियवर
सुगबुगा उठी
एक बंद कली
शोर है कैसा
गली गली
वन उपवन
मोरनी नाचे
खिला है मन
मलय भागे
रिमझिम करती
आई बदरिया
ओढ़ के नाचे
धवल चदरिया
गौरैया दुबकी
पंख हैं भीगे
यादों में डुबकी
उड़ता मन आगे
मोती लड़ियाँ
मेरे आँगन
जुडती कड़ियाँ
तुमसे साजन .