Monday, June 13, 2011

जन्मों का नाता


















आँखों में लिए 
प्रेम का समन्दर 
मिले दो दोस्त 
जीवन कितना सुन्दर

इस प्यास को 
बुझने न देना 
प्रीत की लौ को
मिटने न देना 

धड़कता है दिल 
लेता उनका नाम 
हर ओर तुम ही 
बसे  हो श्याम

धार कजरे सी 
नैनों में बसना 
डोर सुनहरी सी 
जैसे एक सपना 

कहते हैं सब 
दूर गए तुम
मुझसे तो पूछो
बसाये हुए हम 

पलक जो झपकी 
देखी मूरत उनकी  
मन से जो  पुकारा 
छवि सम्मुख जिनकी 

कई जन्मों का 
नाता है अपना 
लिखा विधना का 
टरता  है कितना .

11 comments:

  1. शब्द जैसे ढ़ल गये हों खुद बखुद, इस तरह कविता रची है आपने।
    कविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.
    खूबसूरत रचना की लिए धन्यवाद.|.............

    ReplyDelete
  2. जन्मों का नाता हमेशा के लिए होता है

    ReplyDelete
  3. भावभीनी रचना ... सोचा आज पढ़ना दर्ज कर दिया जाए नही तो मेल बॉक्स में ही पढ़ लेते थे ..

    ReplyDelete
  4. आँखों में लिए
    प्रेम का समन्दर
    मिले दो दोस्त
    जीवन कितना सुन्दर

    ye frds ke liye hai ya life partner ke liye.

    mujhe as a frd bhaut achi lagi ye pankitya

    ReplyDelete
  5. छोटी छोटी क्षणिकायें मिलजुल कर सुन्दर रुप निखार रही हैं प्रेम का.

    ReplyDelete
  6. पलक जो झपकी
    देखी मूरत उनकी
    मन से जो पुकारा
    छवि सम्मुख जिनकी
    Behad sashakt panktiyan hain ye....aur utnee hee bhavuk!

    ReplyDelete
  7. मिलना तो कई जन्मों की इच्छाओं का निष्कर्ष है।

    ReplyDelete
  8. खूबसूरत रचना की लिए धन्यवाद|

    ReplyDelete
  9. धड़कता है दिल
    लेता उनका नाम
    हर ओर तुम ही
    बसे हो श्याम

    धार कजरे सी
    नैनों में बसना
    डोर सुनहरी सी
    जैसे एक सपना.

    बढ़िया भाव से रचित सुंदर कविता.

    ReplyDelete