Friday, December 31, 2010

नए साल की लख लख वधाई

धवल दूध सा उज्जवल मुख

घुंघराली लट है खेल रही
नैनो में छाई है शोखी
मुस्कान अधर पर तैर रही ।

तुम हो प्रियतम मेरे
कहते आती है लाज मुझे
मैं बनूँ तुम्हारी प्रियतमा
सिहरन सी आती है मुझे ।

पंखुरियों का महा सैलाब
ले जाये बहा मझधार में
नए वर्ष की है आरजू
खुशबुओं का झंझावात
रच बस जाये तुम्हारे संसार में 

11 comments:

  1. uff itna pyara.......har wakya se madhu chhalak raha hai...:)

    bahut bahut badhai aur nav varsh ki shubhkamnayen...

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  2. नए वर्ष की है आरजू
    खुशबुओं का झंझावात
    रच बस जाये तुम्हारे संसार में ।

    सुन्दर पंक्तियाँ.. आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  3. आपको भी नव वर्ष की ढेरों शुभ कामनाएं.


    नीरज

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  4. bahut sneh se bhara hai. achha laga padhna.

    shubhkamnayen

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  5. आपको और आपके परिवार को मेरी और से नव वर्ष की बहुत शुभकामनाये ......

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  6. अच्छी कविता ...
    नव वर्ष आपके और आपके परिवार दोनों के लिए ही अनगिन खुशियाँ ले आये ..

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  7. नव वर्ष की शुभकामनायें आपको।

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  8. सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु।
    सर्वः कामानवाप्नोतु सर्वः सर्वत्र नन्दतु॥
    सब लोग कठिनाइयों को पार करें। सब लोग कल्याण को देखें। सब लोग अपनी इच्छित वस्तुओं को प्राप्त करें। सब लोग सर्वत्र आनन्दित हों
    सर्वSपि सुखिनः संतु सर्वे संतु निरामयाः।
    सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चिद्‌ दुःखभाग्भवेत्‌॥
    सभी सुखी हों। सब नीरोग हों। सब मंगलों का दर्शन करें। कोई भी दुखी न हो।
    बहुत अच्छी प्रस्तुति। नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं!


    सदाचार - मंगलकामना!

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  9. बहुत सुनदर अभिव्यक्ति , बधाई व आपको व आपके ब्लाग के सभी साथियों को नववर्ष की शुभकामनायें।

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  10. बहुत ही सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति ।

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