Monday, January 3, 2011

तुम जीवन

Blue butterfly on a Lupine (www.epa.gov)

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
व्यंजना वय की करती       
परिभाषित है तुमसे यौवन    
व्याख्या  भावों की करती  
मार्ग दिखाती तुम जीवन .  

तुमसे उर  में है स्पंदन    
स्पंदन में हैं  प्राण बसे         
सिसके मध्य प्रीत क्रन्दन    
किससे कोई कैसे कहे .    

श्रद्धा उपजे अनुराग मेरा  
पूजा में जीवन करूँ बसर  
ईश्वर संग आसन तेरा  
अर्पण में ना कोई कसर .  

मुस्कान तुम्हारी तारे गूंथे    
बंद पलक चंदा शीतल      
निर्मल हंसी ओस सी बूँदें    
कुंदन करती कांसा पीतल .    

मन ने मन को है देखा     
बिन कहे समझ  जाती है  
दुःख की हल्की सी रेखा  
उनसे जाकर बतलाती है .    

परत उदासी या हर्ष अपार    
छिपा ना कुछ रह पाता है    
पारदर्शी हैं मन बारम्बार    
एक दूजे का हाल बताता है .    

कैसे जाऊं मैं अन्य  राह    
तुममे बसी आत्मा मेरी    
मन प्राण मेरा भरे आह    
जीवन मेरा प्रीत तुम्हारी .    
 

5 comments:

  1. नए वर्ष के स्वागत के लिए बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति !
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  2. बढ़िया कविता और बढ़िया सोच है ... मज़ा आ गया ... क्या बात है .

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  3. पारदर्शी हैं मन बारम्बार
    एक दूजे का हाल बताता है ...

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    .

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  4. समय सजन के प्रति गहरी अभिव्‍यक्ति

    *

    नए साल के उजले भाल पे

    लिखें इबारत नए ख्‍याल से।

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  5. बहुत सुन्दर कविता
    बस एक जगह लगा कि जीवन के साथ मार्ग दिखाती न होकर मार्ग दिखाते तुम जीवन ..होना चाहिए या फिर मार्ग दिखातीं तुम जिन्दगी होना चाहिए ...या फिर ये जैसा कि आखिरी पैरे से पता लगता है कि ये प्रीत के लिए कहा गया है कि मार्ग दिखातीं तुम ...फिर ठीक है ...vaah

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