सूरज से कर मीठी बात
आओ रश्मि पाजेब पहन
प्रतीक्षा में रहूँ तुम्हारे
करता चिंतन और मनन
आ भी जाओ पास हमारे
मीठे सुर की पाजेब पहन
सर्र सर्र करती बहे हवा
संताप बढाती मेरे मन
बन आ जाओ मधुर दवा
पत्तों की पाजेब पहन
रंग बिरंगे खिले फूल
भ्रमर वृन्द करता गुनगुन
खिली शाख पर आओ झूल
पाजेब कली बाजे झुनझुन
रिमझिम रिमझिम सी बूँदें
शीतलता निर्मल करे वहन
लहराती आओ आँखें मूंदे
गंगाजल की पाजेब पहन
घटता बढ़ता चन्द्र सुदर्शन
प्रेम जगाता विरह दहन
आ जाओ लेकर आकर्षण
चंदनिया की पाजेब पहन
सातों सुर बजने को आतुर
एकतारे का टूटा तार
आ जाओ होकर प्रीतातुर
पहना पाजेब करूँ मनुहार .
बन आ जाओ मधुर दवा
ReplyDeleteपत्तों की पाजेब पहन
वाह...शब्द नहीं हैं प्रशंशा के लिए...बहुत अच्छी रचना...
नीरज
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
ReplyDeletesunder bhav...sunder prateek....
ReplyDeleteपत्तों की पाजेब... kaanon mein sarsarahat ban pighal rahi hai , bahut badhiyaa
ReplyDelete"आँखों ही में गुजरी रात
ReplyDeleteस्याह अँधेरी और गहन
सूरज से कर मीठी बात
आओ रश्मि पाजेब पहन"
अनूठा आह्वान - बहुत खूब
अत्यधिक कोमल और सौन्दर्य समेटे पंक्तियाँ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति ....पाजेब की रुनझुन सी
ReplyDeleteघटता बढ़ता चन्द्र सुदर्शन
ReplyDeleteप्रेम जगाता विरह दहन
आ जाओ लेकर आकर्षण
चंदनिया की पाजेब पहन
बहुत सुंदर भावभिव्यक्ति.....
सर्र सर्र करती बहे हवा
ReplyDeleteसंताप बढाती मेरे मन
बन आ जाओ मधुर दवा
पत्तों की पाजेब पहन
खनकती पाजेब बहुत कुछ कह रही है ... सुन्दर प्रस्तुति ...
रिमझिम रिमझिम सी बूँदें
ReplyDeleteशीतलता निर्मल करे वहन
लहराती आओ आँखें मूंदे
गंगाजल की पाजेब पहन ....
गंगाजल का पाजेब.. कितना सुन्दर और नवीन विम्ब.. पाजेब नया अर्थ पा रही है सम्पूर्ण कविता में..
बेहतरीन भावों से सजी ..मनमोहक, प्रेम रस में भीगी हुई सुन्दर रचना |
ReplyDeleteसातों सुर बजने को आतुर
ReplyDeleteएकतारे का टूटा तार
आ जाओ होकर प्रीतातुर
पहना पाजेब करूँ मनुहार
पाजेब पर बेहतरीन रचना'.
सुन्दर प्रेममयी कोमल भावों और शब्दों से सजी प्रस्तुति
ReplyDeleteपाजेब की रुनझुन सी मधुर कविता !
ReplyDeleteआँखों ही में गुजरी रात
ReplyDeleteस्याह अँधेरी और गहन
सूरज से कर मीठी बात
आओ रश्मि पाजेब पहन
सुन्दर कोमल भावोँ को भाषा के सरल प्रवाह और सौंदर्य ने द्विगुणित कर दिया है.
मंजु