Thursday, January 20, 2011

अभय बसेरा





नहीं खाली हाथ तुम

नहीं लौटे बैरंग

हथेलियों में सपने

भरने है जिनमें रंग



पगडण्डी जो दी तुमने

ले जाती परियों के देस

मौन प्रेम लगा बसने

रख कर ईश्वर का भेस



ताना बाना बुनते सपने

होंगे पूरे आशा मन में

स्वप्नों को देख देख हमने

सरस जीवन जिया पल में



तुम ही उसका संबल हो

जो तुमने उम्मीद जगाई

तुमको देख देख बल हो

तुमसे उसने पूर्णता पाई



उमंगों का बड़ा भार लिए

हवाएं जो तुमसे आती

मत घबराना धैर्य लिए

तुम्हारा एक संदेशा लाती



इच्छाओं के बो दो बीज

ऋतु वसंत आने को है

अंकुर आयें फूलों की तीज

संगीत धरा गाने को हैं



छंट जायेंगे घन दुःख के

एक नवीन सवेरा होगा

सूरज आयेंगे सुख के

प्रेम का अभय बसेरा होगा .

12 comments:

  1. बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।

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  2. एक नवीन सवेरा होगा

    वो सुबह कभी तो आएगी....आपकी रचना आशाएं जगाती है...
    नीरज

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  3. बहुत सुन्दर, मन प्रशन्न हो गया
    बहुत बहुत धन्यवाद

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  4. पगडण्डी जो दी तुमने

    ले जाती परियों के देस
    ... aur khwaab potli mein sama jate hain

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  5. कोमल इच्छाओं/आशाओं का मनमोहक चित्रण

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  6. ताना बाना बुनते सपने

    होंगे पूरे आशा मन में

    स्वप्नों को देख देख हमने

    सरस जीवन जिया पल में ..

    Beautiful !

    .

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  7. सपने देखना स्वयं को जीवंत रखने के समान है ..सुन्दर अभिव्यक्ति

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  8. प्रेम का अभय बसेरा होगा ...
    जरूर ...
    सुन्दर भावपूर्ण रचना !

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  9. "उमंगों का बड़ा भार लिए

    हवाएं जो तुमसे आती

    मत घबराना धैर्य लिए

    तुम्हारा एक संदेशा लाती".... sundar kavita... aasha ka sanchar karti...

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  10. प्रेरणा देती पोस्ट.सुन्दर प्रेममयी कोमल भावों और शब्दों से सजी प्रस्तुति

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  11. छंट जायेंगे घन दुःख के

    एक नवीन सवेरा होगा sakaratmak vichar....

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