भर जाता है उजास
मेरे भी भीतर
चहचहाते हो तुम
भर जाता है उल्लास
मेरे भी भीतर
चमकती है आँखें
हो जाती है दिवाली
मेरे भी भीतर
मुस्कुराते हो तुम
खिल उठती हैं कलियाँ
मेरे भी भीतर
गाते हो तुम
भर जाता है संगीत
मेरे भी भीतर
सुन्दर सपने से तुम
भर जाता है इन्द्रधनुष
मेरे भी भीतर
निकट आते हो तुम
भर जाती है लाली
मेरे भी भीतर
उदास होते हो तुम
हो जाती है अमावस
मेरे भी भीतर .
कितना प्रभावित है जीवन, प्रेम बन्धनों से।
ReplyDeleteमन के भीतर की तो हर बात निराली है, जीवन में लबालब भर जाती खुशहाली है। मीडियोकर्मियों को संबोधित करते हुए हिन्दी ब्लॉगिग कार्यशाला में अविनाश वाचस्पति ने जो कहा
ReplyDeleteउदास होते हो तुम , अमावस हो जाती है मेरे भीतर ...
ReplyDeleteमनमोहक भाव !
खुश होते हो तुम
ReplyDeleteभर जाता है उजास
मेरे भी भीतर
नमस्कार !
बेहद सुंदर पंक्ति लगी ! सुंदर भाव !
साधुवाद
abhi to bas aai hun , yahi kahungi-bahut achha laga ... thodi vyastata hai
ReplyDelete... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
ReplyDeleteअति उतम, क्या बात है मैडम जी, मान गए आपको
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