Friday, January 28, 2011

मेरे भी भीतर






खुश होते हो तुम 
भर जाता है उजास 
मेरे भी भीतर 

चहचहाते हो तुम 
भर जाता है उल्लास 
मेरे भी भीतर 

चमकती है आँखें
हो जाती है दिवाली 
मेरे भी भीतर 

मुस्कुराते हो तुम
खिल उठती हैं कलियाँ 
मेरे भी भीतर 

गाते हो तुम 
भर जाता है संगीत 
मेरे भी भीतर 

सुन्दर सपने से तुम 
भर जाता है इन्द्रधनुष 
मेरे भी भीतर  

निकट आते हो तुम 
भर जाती है लाली 
मेरे भी भीतर 

उदास होते हो तुम 
हो जाती है अमावस 
मेरे भी भीतर  .

7 comments:

  1. कितना प्रभावित है जीवन, प्रेम बन्धनों से।

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  2. उदास होते हो तुम , अमावस हो जाती है मेरे भीतर ...
    मनमोहक भाव !

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  3. खुश होते हो तुम
    भर जाता है उजास
    मेरे भी भीतर

    नमस्कार !
    बेहद सुंदर पंक्ति लगी ! सुंदर भाव !
    साधुवाद

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  4. abhi to bas aai hun , yahi kahungi-bahut achha laga ... thodi vyastata hai

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  5. ... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।

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  6. अति उतम, क्या बात है मैडम जी, मान गए आपको

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