Monday, January 17, 2011

पाजेब


आँखों ही में गुजरी रात 
स्याह अँधेरी और गहन 
सूरज से कर मीठी बात  
आओ रश्मि पाजेब पहन 

प्रतीक्षा में रहूँ तुम्हारे 
करता चिंतन और मनन 
आ भी जाओ पास हमारे 
मीठे सुर की पाजेब पहन  

सर्र सर्र करती बहे हवा 
संताप बढाती मेरे मन 
बन आ जाओ मधुर दवा
पत्तों की पाजेब पहन 

रंग बिरंगे खिले फूल 
भ्रमर वृन्द करता गुनगुन 
खिली शाख पर आओ झूल 
पाजेब कली बाजे  झुनझुन

रिमझिम रिमझिम सी बूँदें 
शीतलता निर्मल करे वहन 
लहराती आओ आँखें मूंदे 
गंगाजल की पाजेब पहन 

घटता बढ़ता चन्द्र सुदर्शन 
प्रेम जगाता विरह दहन 
आ जाओ लेकर आकर्षण 
चंदनिया की पाजेब पहन 

सातों सुर बजने को आतुर  
एकतारे का टूटा तार 
आ  जाओ  होकर प्रीतातुर 
पहना पाजेब करूँ मनुहार .  

15 comments:

  1. बन आ जाओ मधुर दवा
    पत्तों की पाजेब पहन

    वाह...शब्द नहीं हैं प्रशंशा के लिए...बहुत अच्छी रचना...
    नीरज

    ReplyDelete
  2. सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।

    ReplyDelete
  3. पत्तों की पाजेब... kaanon mein sarsarahat ban pighal rahi hai , bahut badhiyaa

    ReplyDelete
  4. "आँखों ही में गुजरी रात
    स्याह अँधेरी और गहन
    सूरज से कर मीठी बात
    आओ रश्मि पाजेब पहन"

    अनूठा आह्वान - बहुत खूब

    ReplyDelete
  5. अत्यधिक कोमल और सौन्दर्य समेटे पंक्तियाँ।

    ReplyDelete
  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ....पाजेब की रुनझुन सी

    ReplyDelete
  7. घटता बढ़ता चन्द्र सुदर्शन
    प्रेम जगाता विरह दहन
    आ जाओ लेकर आकर्षण
    चंदनिया की पाजेब पहन

    बहुत सुंदर भावभिव्यक्ति.....

    ReplyDelete
  8. सर्र सर्र करती बहे हवा
    संताप बढाती मेरे मन
    बन आ जाओ मधुर दवा
    पत्तों की पाजेब पहन

    खनकती पाजेब बहुत कुछ कह रही है ... सुन्दर प्रस्तुति ...

    ReplyDelete
  9. रिमझिम रिमझिम सी बूँदें
    शीतलता निर्मल करे वहन
    लहराती आओ आँखें मूंदे
    गंगाजल की पाजेब पहन ....

    गंगाजल का पाजेब.. कितना सुन्दर और नवीन विम्ब.. पाजेब नया अर्थ पा रही है सम्पूर्ण कविता में..

    ReplyDelete
  10. बेहतरीन भावों से सजी ..मनमोहक, प्रेम रस में भीगी हुई सुन्दर रचना |

    ReplyDelete
  11. सातों सुर बजने को आतुर
    एकतारे का टूटा तार
    आ जाओ होकर प्रीतातुर
    पहना पाजेब करूँ मनुहार

    पाजेब पर बेहतरीन रचना'.

    ReplyDelete
  12. सुन्दर प्रेममयी कोमल भावों और शब्दों से सजी प्रस्तुति

    ReplyDelete
  13. पाजेब की रुनझुन सी मधुर कविता !

    ReplyDelete
  14. आँखों ही में गुजरी रात

    स्याह अँधेरी और गहन
    सूरज से कर मीठी बात
    आओ रश्मि पाजेब पहन
    सुन्दर कोमल भावोँ को भाषा के सरल प्रवाह और सौंदर्य ने द्विगुणित कर दिया है.
    मंजु

    ReplyDelete