चमकता है एक तारा
अँधेरी घनेरी रातों में
चमकीला सा सितारा
कर लूं बंद मुट्ठी में
आशाओं की पहली बही
आस का उड़ता सा घन
जिंदगी थोड़ी छोटी सही
देता प्रकाश पुंज बन
जुगनू मिलेगा हर जगह
चाहो तो चूनर सजा लो
चाँद सूरज की तरह
प्रिय आँखों में बसा लो
राह हो चाहे बड़ी विकट
संचारित करता है सन्देश
गहन निशा का अंत निकट
कहता है धरे प्रिय भेस
सदा चमकती रहे तुम्हारी
मन की बगिया मुझ जैसी
अस्त ना हो प्रीत तुम्हारी
रहे पल्लवित तुम जैसी
जुगनू बन मैं आ जाऊं
भाल तुम्हारे रहूँ जगमग
समीप बना जो रह पाऊं
बिछ जाऊं प्रिया के पग पग