Tuesday, November 23, 2010

अधूरे सपने

साभार चित्र  गूगल 












कल्पना के घोड़े पर सवार
मन भरता स्वछन्द उड़ान
भरने को रहता तैयार
अल्पना में एक नया प्राण .

नित देखे सपने नए नए
अलभ्य सुलभ पा जाऊं मैं
कुछ छोटे कुछ रहे विशेष
अधूरे जो साकार करूँ मैं.

सपनों की असंख्य कतार
छोर न इसका दिखता है
एक से जो पा जाऊं पार
सम्मुख समूह उमड़ता है .

विदित मुझे ये असंभव है
चंचल मन को मनाये कौन
सुंदर सा स्वपन सजाया है
सपने से मुझे जगाये कौन .

गढ़ना उसका हुआ सफल
जिसने है पा लिया लक्ष्य
अधूरे सपने हुए विकल
है वृहद यह प्रश्न यक्ष .

यात्रा जीवन की बीत रही
समय का पहिया गतिमान
उसकी  धुरी है घूम रही
कहता मैं बहुत बलवान .

मनुज ह्रदय की प्रकृति
रच लेता अपना संसार
अपना ईश्वर अपनी धरती
सुप्त कामनाओं का भंडार .

अधूरे सपनों का मेला
नैनो में उन्हें बसाये रहना
आएगा प्रीत लहर का रेला
आशा किरण थामे रखना .

7 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव संयोजन।

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  2. बहुत अच्छी कविता है ...

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  3. कल्पना के घोड़े पर सवार
    मन भरता स्वछन्द उड़ान

    अच्छी कविता

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  4. यात्रा जीवन की बीत रही
    समय का पहिया गतिमान
    उसकी धुरी है घूम रही
    कहता मैं बहुत बलवान .
    dil ko udwelit karti rachna

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  5. स्वप्न जीवन को दिशा देती है.. प्रेम आँखों में स्वप्न देता है.. आपकी कविता ह्रदय को स्पंदित कर रही है.. सुन्दर !

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  6. बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    विचार::आज महिला हिंसा विरोधी दिवस है

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