अधरों का तनिक विस्तार
करती विस्तृत दुनिया उसकी
एक हंसी की पतली रेखा
भर देती झोली उसकी .
एक झलक पाने को बस
सदियों तक रखते धीर
चंदा सूरज तारे पूछे
किसके लिए रहो अधीर .
पलक कहे नैनों में भर लूं
ह्रदय समाना चाहे आह में
बाहें कहती कंठं लगा लूं
कदम जाए ठिठक राह में .
मलिनता देखी जो मुख पर
सब ओर छा जाए अंधकार
ज्योतिपुंज ले आऊं धरा पर
जगमग का हो जाए अधिकार .
सपनों का मेरे पता पूछते
धरा से लेकर अम्बर तक
खोज में उनकी रहे जूझते
जाऊं उन्हें लाने पाताल तक .
स्मृतियाँ मेरी उन्हें रूलाती
हर लेती हैं दिल का चैन
प्रीत की मैना उन्हें सताती
एक हंसी की पतली रेखा
भर देती झोली उसकी .
एक झलक पाने को बस
सदियों तक रखते धीर
चंदा सूरज तारे पूछे
किसके लिए रहो अधीर .
पलक कहे नैनों में भर लूं
ह्रदय समाना चाहे आह में
बाहें कहती कंठं लगा लूं
कदम जाए ठिठक राह में .
मलिनता देखी जो मुख पर
सब ओर छा जाए अंधकार
ज्योतिपुंज ले आऊं धरा पर
जगमग का हो जाए अधिकार .
सपनों का मेरे पता पूछते
धरा से लेकर अम्बर तक
खोज में उनकी रहे जूझते
जाऊं उन्हें लाने पाताल तक .
स्मृतियाँ मेरी उन्हें रूलाती
हर लेती हैं दिल का चैन
प्रीत की मैना उन्हें सताती
जाग जाग कर काटे रैन .
लौट जाओ तुम अपने नीड़
पाषाण ह्रदय पर रख लूं मैं
छुपा न ले दुनिया की भीड़
भावों में अपने भर लूं मैं .
खूबसूरत रचना ..
ReplyDeleteबहुत मनोहारी अद्भुत चित्रण
ReplyDeleteलौट जाओ तुम अपने नीड़
ReplyDeleteपाषाण ह्रदय पर रख लूं मैं
छुपा न ले दुनिया की भीड़
भावों में अपने भर लूं मैं .
gahri bhawabhivyakti
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना --- ( लक्ष्य नहीं मैं ) 16 -11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
ReplyDeleteकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
ReplyDeleteहर बार की तरह शानदार प्रस्तुति
ReplyDeleteऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.
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