पतंग
की तरह
लगता है
अपना भी जीवन .
पतंग
तय नहीं करती
अपनी दिशा
हवा का रुख
ही करता है विवश
निश्चित दिशा
की ओर उसकी उड़ान
और उड़ान की गति
होती है
किन्हीं हाथों में .
समय के थपेड़े
और
परिस्थितियां
ही तय करते हैं
हमारे जीवन की दिशा
और नियंत्रित होती है
गति
किन्हीं हाथों से .
खास अवसरों पर
लड़ाए जाते हैं
पेंच
मनोरंजन के लिए
जो पतंग से ज्यादा
उनके मालिकों के बीच
होते हैं
शीतयुद्ध जैसे .
पतंग से
नहीं पूछता कोई
कि कैसा लगता है उसे
जब लड़ाया जाता है
मन बहलाव के लिए
अपना वर्चस्व दिखाने के लिए .
डोर चाहे
कितनी भी मजबूत
क्यों न हो
कटना ही उसकी
नियति है
रंग बिरंगी
पतंगों के
भाग्य की
विडंबना ही है कि
उन्हें खुद नहीं पता
कि कटने के बाद
गिरेंगी किसके आँगन
या फिर किसी
तरू शाख पर
झूलती रहेंगी
चिंदी चिंदी होने तक .
जीवन की विडंबना को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं आपने...इस भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकार करें...
ReplyDeleteनीरज
आकाश में उड़ती रंग बिरंगी पतंगों के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं का प्रभावी संयोजन।
ReplyDeleteरंग बिरंगी
ReplyDeleteपतंगों के
भाग्य की
विडंबना ही है कि
उन्हें खुद नहीं पता
कि कटने के बाद
गिरेंगी किसके आँगन
या फिर किसी
तरू शाख पर
झूलती रहेंगी
चिंदी चिंदी होने तक .
अतिसुन्दर भावाव्यक्ति , बधाई
खास अवसरों पर
ReplyDeleteलड़ाए जाते हैं
पेंच
मनोरंजन के लिए
जो पतंग से ज्यादा
उनके मालिकों के बीच
होते हैं
शीतयुद्ध जैसे
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डोर चाहे
कितनी भी मजबूत
क्यों न हो
कटना ही उसकी
नियति है
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बहुत ही अच्छी कविता !
शानदार और जानदार !
बधाई हो !
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रामपति जी, मैं आपका ब्लोग
नियमित देखता हूं !
कोमेंट न कर पाऊं तो
कभी भी अन्यथा न लें !
भावपूर्ण रचना।
ReplyDeleteपोस्ट बहुत अच्छी लगी. बेहद गंभीर विषय है. शायद खुद पतंग भी पतंग नहीं होना चाहती पर हमारी ही तरह उसकी किस्मत में क्या लिखा है वो नहीं जानती
ReplyDeleteआकाश में उड़ती रंग बिरंगी पतंगों के माध्यम से
ReplyDeleteशब्दों को चुन-चुन कर तराशा है आपने ...प्रशंसनीय रचना।
समय के थपेड़े
ReplyDeleteऔर
परिस्थितियां
ही तय करते हैं
हमारे जीवन की दिशा
और नियंत्रित होती है
गति
किन्हीं हाथों से
यथार्थपरक कविता ।
सचमुच, जीवन की डोर किसी और के हाथों में है।