व्यक्तित्व में मेरे
थोडा गुरुत्व
करता आकृष्ट
तुम्हारा प्रभुत्व .
निजता मेरी
लगे भली
तुमको देती
कुछ खलबली .
शब्द मेरे
थोड़े साधारण
लगते तुमको
अति असाधारण .
सपने मेरे
आँखों में तुम्हारी
प्रश्न तेरे
भरते हैं खुमारी .
पलकें मेरी
आस सजाये
होगी पूरी
दिन कब आये .
भाव मेरे
लगते अनदेखे
मन के चितेरे
रहते बिनदेखे .
मेरा मोहपाश
तुमको बांधे
लक्ष्य नहीं मैं
बढ़ जाओ आगे .
प्रवाहपूर्ण रचना अच्छी लगी।
ReplyDeleteव्यक्तित्व में मेरे
ReplyDeleteथोडा गुरुत्व
करता आकृष्ट
तुम्हारा प्रभुत्व .
निजता मेरी
लगे भली
तुमको देती
कुछ खलबली .
Bahut sundar rachna.
.
बहुत प्रवाहमयी रचना ...
ReplyDeleteमेरा मोहपाश
तुमको बांधे
लक्ष्य नहीं मैं
बढ़ जाओ आगे .
अब यह तो नाइंसाफी है ...
सपने मेरे
ReplyDeleteआँखों में तुम्हारी
प्रश्न तेरे
भरते हैं खुमारी .
पूरी रचना बहुत सुन्दर और गहरे भाव लिये। बधाई।
व्यक्तित्व में मेरे
ReplyDeleteथोडा गुरुत्व
करता आकृष्ट
तुम्हारा प्रभुत्व .
naa je aapke prabhutav ko ham sweekar karte hain...:)
मेरा मोहपाश
ReplyDeleteतुमको बांधे
लक्ष्य नहीं मैं
बढ़ जाओ आगे
काश आदमी पाश से बचने की कला जानता तो लक्ष्य को पहचान पाता।
पल-पल जग में मिला निमंत्रण,
बॉंहों का फैला आमंत्रण,
ऑंखों में पर लक्ष्य बसा था
इस कारण रह सका नियंत्रण।
sunder abhivaykti
ReplyDeleteसपने मेरे
ReplyDeleteआँखों में तुम्हारी
प्रश्न तेरे
भरते हैं खुमारी . ...
कुछ प्रश्न जिनका जवाब आसान नहीं होता.. खुमारी ही भरते हैं .
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 16 -11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
ReplyDeleteकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
शब्द मेरे
ReplyDeleteथोड़े साधारण
लगते तुमको
अति असाधारण
गहरे भाव लिये बहुत सुन्दर रचना......शुक्रिया
बहुत सुन्दर भाव संयोजन्।
ReplyDeleteपलकें मेरी
ReplyDeleteआस सजाये
होगी पूरी
दिन कब आये
sunder
पलकें मेरी
ReplyDeleteआस सजाये
होगी पूरी
दिन कब आये .
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बहुत खूब !
बहुत अच्छा लिखती हैं आप !
ReplyDeleteबधाई हो !
मेरा मोहपाश
ReplyDeleteतुमको बांधे
लक्ष्य नहीं मैं
बढ़ जाओ आगे
बहुत खूब अलग अन्दाज की रचना