आया वसंत
लाया उमंग
हवा में घोला
उसने भंग.
मन हर्षित
रोम पुलकित
नैन अर्पित
स्नेह अलौकिक .
बिखरा पराग
अंग अंग
अबीर बारात
फैलाये सुगंध
भ्रमर सुनाये
गुनगुन गीत
कलियाँ ओढ़े
चूनर पीत
तितली मुस्काए
पुष्प आलिंगन
पलकें झुक जाए
रंगों का बंधन
फूली सरसों
खेत मन भाया
धानी चूनर ओढ़
ऋतुराज आया
दहके पलाश
भरकर रंग
महुआ महके
आँगन हुडदंग
अम्बर झूमर
अमलताश लरजे
मोहक इतना
प्रेमपाश जैसे
देहरी खड़ा
रंगीला फाग
गूंजे ह्रदय
राग अनुराग
बसंत ऋतु आई
रंग है बिखेरा
रंग भरी तूलिका
कुशल है चितेरा
महके मंजरी
आम्र बौराए
गोरी ठिठकी
वो मिलने आये..
ऐसा कमाल का लिखा है आपने कि पढ़ते समय एक बार भी ले बाधित नहीं हुआ और भाव तो सीधे मन तक पहुँच गए..
ReplyDeleteकोमल भावों से सजी ..
ReplyDelete..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
महके मंजरी
ReplyDeleteआम्र बौराए
गोरी ठिठकी
वो मिलने आये..
kya kahne hain...........!
रचना में बिखरा दिये, वासन्ती से फूल।
ReplyDeleteकुसुम प्रफुल्लित हो रहे, मुस्काए हैं शूल।।
सुन्दर कविता।
ReplyDeleteआदरणीय रामपति जी
ReplyDeleteआपकी वसंत ऋतू पर कविता बसंत के विविध रंगों से भरी है.. आज के भौतिक युग में और बाजारवादी परिवेश में आप प्रकृति की जीवन्तता को जिस तरह व्यक्त करती हैं वह अद्वितीय है.. आपको मालुम होगा की विलियम शेक्सपीयर प्रकृति के बड़े कवि थे और उनका एक सोनेट (चौदह पंक्तियों की कविता) वसंत पर ही है.. सोनेट ९८.. पढ़िए और आनंद लीजिये ....आपकी कविता में भी रस कुछ ऐसा ही है...
सोंनेट ९८
From you have I been absent in the spring
When proud-pied April, dress’d in all his trim,
Hath put a spirit of youth in every thing,
That heavy Saturn laugh’d and leap’d with him.
Yet nor the lays of birds, nor the sweet smell
Of different flowers in odour and in hue,
Could make me any summer’s story tell,
Or from their proud lap pluck them where they grew:
Nor did I wonder at the lily’s white,
Nor praise the deep vermilion in the rose;
They were but sweet, but figures of delight,
Drawn after you, you pattern of all those.
Yet seem’d it winter still, and you away,
As with your shadow I with these did play.
बहुत सुन्दर धारा प्रवाह रचना.
ReplyDeleteआपकी कलम को सलाम.
bahut mohak rachna.
ReplyDeleteshubhkamnayen
बसंत के रंग जैसी सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।
ReplyDeleteबसंत के रंगों से सजी कविता ..सुंदर है
ReplyDeleteसुन्दर वसंत गीत !बसंत बना रहे आपके जीवन में !
ReplyDeleteमौसम ने चाहे रोके रखा है वसंत , आपकी कविता में भरपूर इठला रहा है ..
ReplyDeleteमन का यह वसंत ऐसे ही हरा- भरा पीला -गुलाबी बना रहे !