Monday, November 15, 2010

नजर उठा बस तक लेना

होगा जब मधुमास प्रहर
मलय बावरी इतराएगी
डोलेगी  सिहर सिहर
प्रेम संदेशा लाएगी .

सपनो के लगा के पंख
चाँद से मिलने जायेगी
चाँद उतर आए धरा पर
चंदनिया पैर पखारेगी .

झिलमिल रंगीन सितारे
डोला लेकर आयेंगे
चंदा सूरज बने कहार
पटरानी को ले जायेंगे .

उतावले मेरी बांह हिंडोले
तुम्हें आठों पहर झुलाएंगे
थक जाएँ जब नैन परिंदे
सपनों  में उन्हें सुलायेंगें .

आओगे प्रिय जिस राह से
मुझे जरा बतला देना
राह बुहार दूं पलकों से
नजर उठा बस तक लेना .

5 comments:

  1. आओगे प्रिय जिस राह से
    मुझे जरा बतला देना
    राह बुहार दूं पलकों से
    नजर उठा बस तक लेना
    अच्छी कविता ...अंतिम पंक्तियाँ तो बहुत ही अच्छी लगीं.

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  2. लाजवाब रचना...अद्भुत शब्द और भाव का मिलन है आपकी रचना में..वाह...

    नीरज

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  3. तारीफ़ के लिए शब्द कम पड़ जाएँ, अद्भुत,लाजवाब.....

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  4. सुन्दर प्रवाहमान रचना ! आपकी लेखनी भी निरंतर चलती रहे यही कामना है !

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  5. आओगे प्रिय जिस राह से
    मुझे जरा बतला देना
    राह बुहार दूं पलकों से
    नजर उठा बस तक लेना ...

    प्रेम के कुछ गहरे भाव लिए ... सुन्दर रचना ...

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