Thursday, February 10, 2011

भूल जाओ










भूल जाओ तुम 
उन संकरी गलियों को 
जिनसे गुजरी थी तुम 
मेरे बिना 

भूल जाओ तुम 
उन मुश्किल  दिनों को 
जब करती थी तुम 
मेरा इन्तजार 

भूल जाओ तुम 
उस अँधेरी रात को 
साथी थी तुम्हारी 
सिर्फ हमारी यादें  

भूल जाओ तुम 
उस लम्हे को 
जब मैं गया  परदेस 
तुम्हें छोड़ 

भूल जाओ तुम 
उस दुखद पल को 
जब सबने फेर ली थी आँखें 
मेरे सिवाय 

भूल जाओ तुम 
उस डरावने स्वपन को 
जब छुड़ा लिया था मैंने 
अपना  हाथ 

मत भूलना कभी 
आज का सुनहरा दिन 
जब साथ हैं हम 
हाथों में डाले हाथ .

11 comments:

  1. aaj thori valentine hai...:)jo haath me haath dalna hai..:D..kidding
    bahut khub..:)
    kabhi hamare blog pe bhi dastak dijiye...

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  2. भूल जाओ तुम
    उस डरावने स्वपन को
    जब छुड़ा लिया था मैंने
    अपना हाथ

    मत भूलना कभी
    आज का सुनहरा दिन
    जब साथ हैं हम
    हाथों में डाले हाथ .
    kyonki yahi sach hai hamare hone ka

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  3. मत भूलना कभी
    आज का सुनहरा दिन
    जब साथ हैं हम
    हाथों में डाले हाथ .
    kyonki yahi sach hai hamare hone ka
    regards

    ReplyDelete
  4. भूल जाओ तुम
    उस अँधेरी रात को
    साथी थी तुम्हारी
    सिर्फ हमारी यादें

    -----


    भूल जाओ तुम
    उस दुखद पल को
    जब सबने फेर ली थी आँखें
    मेरे सिवाय


    इन दोनों को फिर से देखिये..अन्य पंक्तियों के अर्थ के साथ साम्य बैठालने के लिए....


    शायद..

    साथ थी तुम्हारी (की जगह) साथ थी तुम्हारे..करके देखिये

    और


    जब सबने फेर ली थी आँखें
    मेरे सिवाय


    (के स्थान पर)


    जब फेर ली थी आँखें
    सबके साथ मैने


    --मात्र सुझाव है भावों में साम्य उत्पन्न करने का. बाकी तो आप की रचना है, आप से बेहतर कौन समझ सकता है.

    अनेक शुभकामनाएँ.

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  5. मत भूलना कभी
    आज का सुनहरा दिन
    जब साथ हैं हम
    हाथों में डाले हाथ .

    शुक्र है आखिरी मे हाथो मे हाथ है मगर शुरु से लग रहा था कि कहीं आखिर मे ये ना कह दे कि अब मुझे भी भूल जाओ…………बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।

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  6. @समीर लालजी
    अच्छा सुझाव है . कविता इतने ध्यान से पढने के लिए बहुत धन्यवाद .

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  7. बहुत सुन्दर कविता है.. प्रेम पखवाड़े का असर दिख रहा है... अंतिम पंक्तियाँ गहरी हैं..

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  8. बहुत ही सुन्दर रचना.
    मिलन का सुखद अहसास.
    सलाम

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  9. बहुत सुन्दर कविता है,धन्यवाद

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  10. …बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।

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  11. मत भूलना कभी
    आज का सुनहरा दिन
    जब साथ हैं हम
    हाथों में डाले हाथ .
    --
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति!

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