Tuesday, January 11, 2011

दे दो मुझे पंख

Pretty flying girl with wings Stock Photo - 3838405



अद्वितीय असीमित अम्बर पर   
निर्भय हस्ताक्षर कर आऊं    
दे दो मुझे यदि पंख     
सूर्य की गर्मी ले आऊं           

चाँद निकलता है छिप छिप     
रातों में बढ़ता दबे पाँव     
दे दो मुझे यदि पंख      
बिखरा दूं चांदनी गाँव गाँव     

गोधुलि में मिलते दोनों     
आकर सूरज धरती पर     
दे दो मुझे यदि पंख     
क्षितिज सजा दूं माथे पर     

रिमझिम झरती पावस बूँदें     
तपिश धरा की है हरती     
दे दो मुझे यदि पंख      
बदरी टोली घट भरती       

भय से सहमे सभी चेहरे      
आंसू की उफनती नदी सुखा दें     
दे दो मुझे यदि पंख      
हर मुख पर मुस्कान सजा दें       

शांत समंदर गहराता      
कहता मैं बहुत विशाल      
दे दो मुझे यदि पंख       
गागर मैं भर लूं  डोरी डाल      

साजन की आँखें करती        
हर पल मेरा इन्तजार     
दे दो मुझे यदि पंख     
उड़ कर आऊं बांह पसार .      

10 comments:

  1. इस अद्भुत रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें...

    नीरज

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  2. आत्मविश्वास की प्रतिमूर्ति बने ये शब्द।

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  3. अद्वितीय असीमित अम्बर पर
    निर्भय हस्ताक्षर कर आऊं
    दे दो मुझे यदि पंख

    hamne de diya aapko pankh
    aap aise hi sabdo sajate rahen
    aur man ke vistar ko aise hi failayen...:)

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  4. दे दो मुझे यदि पंख
    सूर्य की गर्मी ले आऊं

    बहुत खूब ...प्रेरक विचारमाला ...।

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  5. गोधुलि में मिलते दोनों
    आकर सूरज धरती पर
    दे दो मुझे यदि पंख
    क्षितिज सजा दूं माथे पर
    bahut hi achhi rachna

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  6. रचना की अभिव्यक्ति ने काफ़ी प्रभावित किया। लय और प्रवाह से कविता आकर्षित करती है।

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  7. दे दो मुझे यदि पंख
    क्षितिज सजा दूं माथे पर ..
    सुद्नर पंक्तियाँ
    पंख होते तो उड़ आती रे ...जैसे ही भाव
    पंख होते तो क्या क्या नहीं किया जा सकता था ...!

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  8. दे दो मुझे यदि पंख

    बहुत खूब, लाजबाब !

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  9. अद्वितीय असीमित अम्बर पर
    निर्भय हस्ताक्षर कर आऊं
    दे दो मुझे यदि पंख
    सूर्य की गर्मी ले आऊं
    बहुत सुन्दर कविता है. बधाई.

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  10. गोधुलि में मिलते दोनों
    आकर सूरज धरती पर
    दे दो मुझे यदि पंख
    क्षितिज सजा दूं माथे पर ...

    बहुत मधुर शब्दों में इस गौधूलि की वेला को बाँधा है ....

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