Friday, July 2, 2010

तुम्हारे होने से

अनंत इच्छाएं बन
कोपल
उग आती हैं
ह्रदय धरातल पर
जब तुम्हारी
मुस्कान
मेरे दिल में उतर जाती है ।

सैंकड़ों सुसुप्त स्वपन
सुगबुगाने लगते हैं
जब
तुम्हारी स्नेहिल चितवन
मेरी आँखों में तैर जाती है ।

असीम चाहतें
सिमट
आना चाहती हैं
जब तुमसे मिलने
की घड़ी करीब आती है ।

भीने भीने से भाव
मोगरा बन
महकने लगते हैं
जब तपती सांसें
तुम्हें छूकर वापस आती हैं ।

No comments:

Post a Comment