अनंत इच्छाएं बन
कोपल
उग आती हैं
ह्रदय धरातल पर
जब तुम्हारी
मुस्कान
मेरे दिल में उतर जाती है ।
सैंकड़ों सुसुप्त स्वपन
सुगबुगाने लगते हैं
जब
तुम्हारी स्नेहिल चितवन
मेरी आँखों में तैर जाती है ।
असीम चाहतें
सिमट
आना चाहती हैं
जब तुमसे मिलने
की घड़ी करीब आती है ।
भीने भीने से भाव
मोगरा बन
महकने लगते हैं
जब तपती सांसें
तुम्हें छूकर वापस आती हैं ।
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