Saturday, July 17, 2010

आज फिर

आज फिर
मेरे आसमान में
पूरा चाँद है
टिमटिमाते तारे हैं
और असंख्य जुगनू हैं
क्योंकि
तुम करीब हो

आज फिर
साँसों में महक है
मौसम कुछ बहका सा है
मन कुछ गुदगुदा रहा है
क्योंकि
तुम करीब हो

आज फिर
मन चंचल है
तन में लहर सी है
कदम कुछ बहके से हैं
हवा कुछ अलसाई सी है
क्योंकि
तुम करीब हो

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