Thursday, July 15, 2010

जीवन है कहानी

जीवन
सुबह साँझ की
है कहानी
दिन और रात
इसकी रवानी ।

कभी पाउँगा तुम्हें
उससे पहले
खोने
की कहानी

सब कुछ मेरा है
ये भ्रम
बंद आँखों से
देखते सवेरा ।

सपने और हकीकत
में है दूरी का
बसेरा
नहीं कुछ मेरा ।

रौशनी जो है
छलावा ही है
परछाई जो है
बस मेरी है ।

No comments:

Post a Comment