आकाश
अंजुरी में तेरे
है आँखों में
चाँद
ख़ामोशी मत
ओढो इतना
कि जीवन हो
जाए सांझ
नहीं भाव ने
छला तुम्हें
तिरोहित नहीं
हुआ सम्मान
करना था
जीवन अर्पण
और
सर्वस्व समर्पण
क्रन्दन नहीं
प्रारब्ध तेरा
नहीं रुदन
तेरी नियति
करो विश्वास
मेरा प्रिये
जीतेगी
अपनी अमर प्रीत
वाह...प्रेम रस से सराबोर रचना ...
ReplyDeletesimply so beautiful thoughts!
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