Wednesday, July 28, 2010

तुम नहीं तो कुछ नहीं


पानी है
आग है
धरा है
मिटटी है
वायु है
है तो है...
तुम नहीं तो कुछ भी अक्षत नहीं ।

फूल हैं
भौंरे हैं
पहाड़ हैं
झरने हैं
नदी है
सागर है
है तो है
तुम नहीं तो कुछ भी अच्छा नहीं ।

चाँद है
तारे हैं
सूरज है
आकाश गंगाएं हैं
ग्रह हैं
नक्षत्र हैं
है तो हैं
तुम नहीं तो कुछ भी फलित नहीं ।

साँसे हैं
सपने हैं
धड़कन है
खुशबू है
मिन्नत है
दुआएं हैं
हैं तो हैं
तुम नहीं तो कुछ भी अपना नहीं ।


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