पृथ्वी तुम
मैं आकाश
जितने दूर
उतने पास ।
तुम देखो
उठाकर पलक
मैं देखूं
तुम्हें अपलक ।
तुम हो एक
निर्मल गजल
मुझमें है
वायु सजल ।
नीलकमल तुम
खुशबू मैं
मुझमें तुम
महकूँ मैं ।
तुम सूर्य
मैं नई भोर
तुम चंदा
मैं शीतल डोर ।
उर्जा तुम
ऊष्मा मैं
ह्रदय तुम
स्पंदन मैं ।
मिलन होगा
सुखद सपने
क्षितिज होगा
प्रेमपाश में अपने ।
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