Sunday, July 4, 2010

इनमें भरा है जीवन

तुम्हारी आँखें
जैसे समाया है उसमें
सूर्य
और झिर झिर झलकती हैं
रश्मियाँ

इनमें भरी है
जीवन की
ज्योति
जगमग करती है
जैसे प्रकृति की हो
दामिनियाँ

ये पनीले नयन
बसता है इनमें
सुकून
मेरा बसेरा है
सपने करते है जहाँ
सरगोशियाँ

तुम्हारा मन
छलकता है नेह जिनमें
है समंदर
लहरें करती हैं जहाँ
अठखेलियाँ

तुम्हारा सान्निध्य
शीतलता भरी है जिसमें
है घनी छाँव
जहाँ खिलखिलाती हैं
चाँदनियाँ ।

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