Sunday, July 11, 2010

एक नजर भर

एक गुलाबी मुस्कान
खिलती है
तुम्हारे होठों पर
और ठहर जाती है
गालों पर
अबीर की
एक पतली परत।

कोई भी बात
तुम कहते हो यूँ ही
और मन के आँगन में
फिरती है
तुम्हारी स्मृति की
रंगीन तितली।

एक हल्का-सी छुअन
हो जाती है तुमसे
और मोगरा
खिल उठता है
दिल की स्निग्ध क्यारी में।

एक पल के लिए
दिखता है तुम्हारा चेहरा
और पलकों की तलहटी में
देर तक लहराता है
मुस्कुराता चाँद।

एक नजर भर
देखते हो तुम
और देह के सितार में
तरंगित होती है
प्यार की रागिनी।

No comments:

Post a Comment