एक गुलाबी मुस्कान
खिलती है
तुम्हारे होठों पर
और ठहर जाती है
गालों पर
अबीर की
एक पतली परत।
कोई भी बात
तुम कहते हो यूँ ही
और मन के आँगन में
फिरती है
तुम्हारी स्मृति की
रंगीन तितली।
एक हल्का-सी छुअन
हो जाती है तुमसे
और मोगरा
खिल उठता है
दिल की स्निग्ध क्यारी में।
एक पल के लिए
दिखता है तुम्हारा चेहरा
और पलकों की तलहटी में
देर तक लहराता है
मुस्कुराता चाँद।
एक नजर भर
देखते हो तुम
और देह के सितार में
तरंगित होती है
प्यार की रागिनी।
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